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तुला दान क्या होता है , कैसे और क्यों होता है , जानिए

तुला दान हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें व्यक्ति का वजन तौला जाता है और उस वजन के बराबर दान दिया जाता है। यह अनुष्ठान आमतौर पर विशेष अवसरों, पूजा या किसी विशेष मांगलिक कार्य के दौरान किया जाता है। यह दान स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है।

तुला दान क्या है?

  • तुला का अर्थ है “तराजू” और दान का अर्थ है “देना”। इसमें व्यक्ति को तराजू पर रखा जाता है और उसके वजन के बराबर सोना, चांदी, अनाज, कपड़े, फल, मिठाई, या अन्य चीजों को तराजू के दूसरे पलड़े में रखा जाता है।
  • इस दान को गरीबों, ब्राह्मणों, मंदिरों या जरूरतमंदों में बांट दिया जाता है।

तुला दान क्यों किया जाता है?

तुला दान के पीछे मुख्य उद्देश्य अपने पापों का प्रायश्चित करना, ईश्वर की कृपा प्राप्त करना और समाज के जरूरतमंद लोगों की सहायता करना होता है। इसे करने के पीछे धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यता है कि यह व्यक्ति के पापों का क्षय करता है और उसे पुण्य प्राप्त होता है।

प्रमुख कारण:

  1. स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति:
    • इसे करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और स्वास्थ्य में सुधार होता है। कई बार इसे गंभीर बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए भी किया जाता है।
  2. पापों का प्रायश्चित:
    • ऐसा माना जाता है कि तुला दान से पिछले जन्मों और इस जन्म के पापों का नाश होता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति:
    • इसे करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
  4. धार्मिक अवसर:
    • तुला दान विशेष रूप से जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ या किसी खास धार्मिक अवसर पर किया जाता है।

तुला दान किसे और कैसे दिया जाता है?

तुला दान किसी विशेष ब्राह्मण, गरीबों, अनाथालय, या धार्मिक संस्थाओं को किया जा सकता है। तुला दान करने की प्रक्रिया इस प्रकार होती है:

  1. तराजू की व्यवस्था: एक बड़ी तराजू तैयार की जाती है, जिसमें व्यक्ति को एक पलड़े में बैठाया जाता है।
  2. वजन की तौल: दूसरे पलड़े में अनाज, सोना, चांदी, या अन्य सामग्री रखी जाती है, जो व्यक्ति के वजन के बराबर होनी चाहिए।
  3. दान: तौलने के बाद उस सामग्री को दान कर दिया जाता है। यह सामग्री धार्मिक स्थानों, गरीबों या ब्राह्मणों में वितरित की जाती है।

तुला दान में क्या-क्या चीजें दी जा सकती हैं?

  • धन: सोना, चांदी, आभूषण।
  • अनाज: चावल, गेहूं, दाल।
  • कपड़े: वस्त्र या साड़ी।
  • अन्य: फल, मिठाई, दूध, गुड़ आदि।

तुला दान के धार्मिक महत्व

तुला दान का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यह व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति और उसकी दैवीय कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम है। कई पुराणों और शास्त्रों में इसका उल्लेख मिलता है, जैसे कि:

  • गरुड़ पुराण में कहा गया है कि तुला दान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • स्कंद पुराण में इसे पाप नाशक माना गया है।

निष्कर्ष

तुला दान एक अत्यंत पुण्यकारी और धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और सामाजिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह धार्मिक क्रियाकलाप न केवल व्यक्ति के पापों का नाश करता है, बल्कि समाज के जरूरतमंद लोगों की मदद भी करता है।

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