सावन का महीना शुरू होते ही देश के सभी शिवालयों में कंवरियों की भीड़ उमड़ती है। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व बढ़ जाता है।भगवान शिव को यह महीना बहुत प्रिय है। सावन महीने में भी भगवान शिव को जलाभिषेक करने और बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा बहुत महत्वपूर्ण है।
बेलपत्र अर्पण करने के भी नियम है. क्या आप जानते हैं?. बेलपत्र में तीन, चार या पांच फली वाले में कौन सा सर्वोत्तम लाभकारी होता है
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बेलपत्र का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. “बेलपत्र भगवान शिव के प्रिय हैं. इन्हें अर्पित करने से शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. बेलपत्र की तीन, चार, और पांच फली वाले प्रकारों का महत्व अलग-अलग होता है.
तीन, चार या पांच फली वाले बेलपत्र का महत्व
1.तीन फली वाला बेलपत्र: तीन फली वाला बेलपत्र त्रिनेत्रधारी शिव का प्रतीक माना जाता है. इसे चढ़ाने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.
2. चार फली वाला बेलपत्र: चार फली वाला बेलपत्र चारों वेदों का प्रतीक है. इसे चढ़ाने से ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है. इसके अर्पण से भक्त को धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है.
3.पांच फली वाला बेलपत्र: पांच फली वाला बेलपत्र पंच महाभूतों का प्रतीक है. इसे चढ़ाने से समस्त पापों का नाश होता है. मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह सर्वोत्तम माना जाता है. इसे चढ़ाने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं.
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बेलपत्र अर्पित करने का विधान :बेलपत्र अर्पित करने से पहले उसे स्वच्छ पानी से धोना चाहिए. पूजा सामग्री : पूजा के दौरान बेलपत्र के साथ जल, दूध, दही, शहद, और फूल भी अर्पित किए जाते हैं.
मंत्र उच्चारण : बेलपत्र अर्पित करते समय \” नमः शिवाय\” मंत्र का उच्चारण करना चाहिए.