चंद्रमा के जन्म को लेकर हिंदू पौराणिक ग्रंथों में कई कथाएँ मिलती हैं। विशेष रूप से विष्णु पुराण और शिव पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। मान्यताओं के अनुसार, चंद्रमा का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था, जब देवताओं और असुरों ने अमृत की प्राप्ति के लिए क्षीर सागर का मंथन किया था।
किस तिथि को हुआ था चंद्रमा का जन्म?
ज्योतिष और हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा का जन्म हुआ माना जाता है। इस दिन को विशेष रूप से चंद्र जयन्ती या चंद्र जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
पौराणिक कथा
समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी, जिनमें से एक चंद्रमा भी थे। चंद्रमा के जन्म के बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटा में स्थान दिया, जिससे वे शिव के मस्तक पर विराजमान हो गए।
चंद्रमा का महत्व
- चंद्रमा को सोम भी कहा जाता है, जो शीतलता और शांति प्रदान करता है।
- यह मन और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए चंद्रमा का प्रभाव ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण होता है।
- पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा का विशेष पूजन करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।