वैदिक ज्योतिष शास्त्र में धन योग का निर्माण विशेष ग्रहों की स्थिति और उनकी दृष्टि के आधार पर होता है। यह योग व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है और यह संकेत करता है कि व्यक्ति जीवन में समृद्धि, संपत्ति और ऐश्वर्य प्राप्त कर सकता है।
धन योग के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं:
- लक्ष्मी योग: यह तब बनता है जब शुभ ग्रह जैसे शुक्र, गुरु या चंद्रमा अपनी शुभ स्थिति में होते हैं और 2, 5, 9, 10, 11 आदि भावों में होते हैं। यह योग व्यक्ति को स्थिर और दीर्घकालिक धन प्राप्ति के योग देता है।
- राजयोग: यह तब बनता है जब लाभकारी ग्रह जैसे सूर्य, गुरु, शुक्र, मंगल और शनि की स्थिति प्रबल होती है। यह योग व्यक्ति को उच्च पद, सम्मान और धनोपार्जन की स्थिति प्रदान करता है।
- धन के घर में शुभ ग्रह: जब व्यक्ति की कुंडली में 2nd (धन का घर), 5th (बुद्धि का घर), 9th (भाग्य का घर) और 11th (लाभ का घर) में शुभ ग्रह होते हैं, तो यह धन योग को मजबूत करता है।
- कुबेर योग: यह विशेष योग तब बनता है जब कुबेर के कारक ग्रह (शुक्र, मंगल और गुरु) अन्य शुभ ग्रहों के साथ अच्छे स्थानों में स्थित होते हैं, जिससे धन की प्राप्ति होती है।
इसके अलावा, कुंडली में शनि की स्थिति, शुक्र का प्रभाव, चंद्रमा और सूर्य की स्थिति, और नवांश से संबंधित कारक भी धन योग के निर्माण में योगदान करते हैं।
यदि व्यक्ति की कुंडली में धन योग होता है, तो उसके जीवन में आर्थिक समृद्धि, संपत्ति और लाभ की संभावना प्रबल होती है।