भूकंप को अक्सर प्रकृति का प्रकोप माना जाता है, लेकिन भारतीय पौराणिक कथाओं में इसके पीछे गहरे आध्यात्मिक और दार्शनिक कारण बताए गए हैं। यहाँ भूकंप से जुड़ी पाँच प्रमुख पौराणिक कथाएँ दी गई हैं, जो हर मनुष्य के लिए चेतावनी और सीख देती हैं—
1. शेषनाग के हिलने से धरती कांपती है
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पृथ्वी शेषनाग के फण पर टिकी हुई है। जब शेषनाग असंतुलित होते हैं या कष्ट में होते हैं, तो धरती हिलने लगती है, जिससे भूकंप आता है। यह दर्शाता है कि जब अधर्म और अराजकता बढ़ती है, तो प्रकृति स्वयं असंतुलित हो जाती है।
2. वामन अवतार और राजा बलि की परीक्षा
जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दानवीर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी, तो उन्होंने एक पग में संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया। इस प्रक्रिया में पृथ्वी डगमगाने लगी, और कहा जाता है कि यह झटके भूकंप के रूप में महसूस किए गए। यह कथा सिखाती है कि अत्यधिक अहंकार और लालच धरती को भी हिला सकता है।
3. सती का आत्मदाह और धरती का क्रोध
देवी सती के आत्मदाह करने के बाद भगवान शिव के क्रोध से पूरी सृष्टि कांप उठी थी। ऐसा माना जाता है कि जब शिव तांडव करते हैं, तो धरती कंपन करने लगती है, और भूकंप आते हैं। यह चेतावनी देती है कि जब समाज में अन्याय और अधर्म बढ़ता है, तो महाप्रलय के संकेत मिलने लगते हैं।
4. हिरण्याक्ष और वराह अवतार
पुराणों के अनुसार, राक्षस हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र में डुबो दिया था। तब भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर पृथ्वी को अपने दाँतों पर उठाया। जब उन्होंने पृथ्वी को ऊपर उठाया, तो बड़े झटके लगे, जिसे भूकंप के रूप में बताया जाता है। इससे यह शिक्षा मिलती है कि जब धरती पर नकारात्मक शक्तियाँ हावी होती हैं, तो प्रकृति विरोध करती है।
5. कलियुग के अंत में विनाशकारी भूकंप
भविष्य पुराण और अन्य शास्त्रों में उल्लेख है कि कलियुग के अंत में प्राकृतिक आपदाओं की संख्या बढ़ जाएगी, और बड़े भूकंप धरती को हिला देंगे। यह संकेत हैं कि जब मनुष्य नैतिकता और धर्म के मार्ग से भटक जाता है, तो प्रकृति अपना संतुलन साधने के लिए विकराल रूप धारण कर लेती है।
क्या संकेत दे रहे हैं हाल के भूकंप?
इन पौराणिक कहानियों के अनुसार, जब धरती पर अधर्म, अन्याय और प्राकृतिक असंतुलन बढ़ता है, तो भूकंप जैसे संकट आते हैं। आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण भले ही इसे प्लेट टेक्टोनिक्स से जोड़ता हो, लेकिन धार्मिक दृष्टि से यह हमें सचेत करता है कि हमें प्रकृति और समाज में संतुलन बनाए रखना चाहिए, अन्यथा आने वाला समय और अधिक भयावह हो सकता है।
क्या यह भूकंप किसी बड़े बदलाव का संकेत है? यह समय है जागने और प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का!