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Wednesday, April 2, 2025
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भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक नवरात्रि मे सिमटा है जीवन का हर पहलू

नवरात्र शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- नव और रात्र। नव का अर्थ है नौ और रात्र शब्द में पुनः दो शब्द निहित हैं: रा+त्रि। रा का अर्थ है रात और त्रि का अर्थ है जीवन के तीन पहलू- शरीर, मन और आत्मा। इंसान को तीन तरह की समस्याएं घेर सकती हैं- भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक। इन समस्याओं से जो छुटकारा दिलाती है वह रात्रि है। रात्रि या रात आपको दुख से मुक्ति दिलाकर आपके जीवन में सुख लाती है। इंसान कैसी भी परिस्थिति में हो, रात में सबको आराम मिलता है। रात की गोद में सब अपने सुख-दुख किनारे रखकर सो जाते हैं।

साल में दो बार नवरात्र रखने का विधान है। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नौ दिन अर्थात नवमी तक, ओर इसी प्रकार ठीक छह महीने बाद आश्चिन मास, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक माता की साधना और सिद्धि प्रारम्भ होती है। दोनों नवरात्रों में शारदीय नवरात्रों को ज्यादा महत्व दिया जाता है। नवरात्र के नौ दिनों में यज्ञ और हवन का सिलसिला चलता रहता है। ये यज्ञ संसार में दुख और दर्द के हर तरह के प्रभाव को दूर कर देते हैं। नवरात्रि के हर दिन का अपना महत्व और प्रभाव है और उस दिन के अनुरूप ही यज्ञ और हवन किए जाते हैं। जीवन में हमें बुरे और अच्छे दोनों तरह के गुण प्रभावित करते हैं। नवरात्र हमें यह सिखाते हैं कि किस तरह इंसान अपने अंदर की मूलभूत अच्छाइयों से नकारात्मकता पर विजय प्राप्त कर सकता है और स्वयम् के अलौकिक स्वरूप से साक्षात्कार कर सकता है। जिस तरह मां के गर्भ में नौ महीने पलने के बाद ही एक जीव का निर्माण होता है ठीक वैसे ही ये नौ दिन हमें अपने मूल रूप, अपनी जड़ों तक वापस ले जाने में अहम भूमिका अदा करते हैं। इन नौ दिनों का ध्यान, सत्संग, शांति और ज्ञान प्राप्ति के लिए उपयोग करना चाहिए।

हिन्दू पंचाग के अनुसार चैत्र यानि मार्च-अप्रैल में मां दुर्गा के पहले नवरात्र पर 9 दिन आराधना जाती है, जिन्हें वासंतीय नवरात्र कहा जाता है। अश्विन मास यानि सितम्बर-अक्टूबर में आने वाले नवरात्र को मुख्य नवरात्र कहा जाता है, जिसे जनमानस शारदीय नवरात्र के नाम से जानता है। शारदीय नवरात्र के बाद से ही देश भर में त्योहारों की धूम मच जाती है। शारदीय नवरात्र के समापन पर ही दशहरे का त्योहार मनाया जाता है जो कि अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। इसके अलावा एक वर्ष के भीतर 2 गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती है जो गृहस्थों के लिए नहीं होती है। यह दोनों नवरात्रि आषाढ़ यानि जून-जुलाई और दूसरा माघ यानि जनवरी-फरवरी में आते हैं।

शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की आराधना के लिए नवरात्रा सर्वोत्तम समय माना जाता है। भगवान राम ने नवरात्र में मां भगवती की आराधना से देवी को प्रसन्न कर विजयादशमी के दिन रावण का संहार किया था। नौ दिन तक चलने वाले पर्व नवरात्रि के तीन-तीन दिन तीन देवियों को समर्पित होते हैं। ये तीन देविया हैं- मां दुर्गा (शौर्य की देवी), मां लक्ष्मी (धन की देवी) और मां सरस्वती (ज्ञान की देवी)। इन नौ दिनों में बाकी सारे क्रियाकलापों से ऊपर समारोह और व्रत को प्राथमिकता दी जाती है। हर शाम को डांडिया और गरबा जैसे धार्मिक नृत्य के जरिए मां दुर्गा की पूजा की जाती है।

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