बगलामुखी मंदिर, बनखंडी भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है. यह हिंदू धर्म की देवी बगलामुखी को समर्पित है, जो दस महाविद्याओं में से एक हैं. उनका संबंध पीले रंग से है इसलिए उन्हें पीतांबरा भी कहा जाता है. वह स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हैं, जिसके खंभे विभिन्न रत्नों से सजे हैं और उनकी तीन आंखें हैं, जो इस बात का प्रतीक हैं कि वह भक्त को परम ज्ञान प्रदान कर सकती हैं.
आज हम एक ऐसे मंदिर के बारे में बात करने वालें हैं, जो भक्ति के साथ तंत्र शक्ति का भी केंद्र माना जाता है. यह हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थिति मां बगलामुखी मंदिर की. यह मंदिर माता बगलामुखी के दस महाविद्याओं में से आठवें स्वरूप को समर्पित है, इसे मां पीताम्बरा पीठ भी कहा जाता है और यह मंदिर पांडवों से जुड़ा माना जाता है. मां बगलामुखी मंदिर अपनी मान्यताओं के चलते बेहद खास है. कहा जाता है कि हिमाचल के इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी, ये मंदिर महाभारत काल का माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि महान धनुर्धर अर्जुन ने सबसे पहले इसी स्थान पर माता बगलामुखी की पूजा की थी.
मां बगलामुखी के मंदिरों से कई रहस्य भी जुड़े बताए जाते हैं, जैसे कि मान्यता है कि मां बगलामुखी स्वयंभू प्रकट हुई थीं. ये मंदिर स्वयंभू हैं, इसी वजह से इनकी मूर्तियां जीवंत लगती हैं. इन मंदिरों की स्थापना का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता लेकिन कहा ये जाता है कि इनकी स्थापना पांडवों ने की थी. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मां बगलामुखी का मंदिर बनवाया था और विपत्ति में पांडवों को भगवान श्री कृष्ण ने मां बगलामुखी की पूजा करने के लिए कहा था. मां बगलामुखी की साधना से शत्रुओं पर विजय मिलती है. मान्यता है कि मां बगलामुखी की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है.यहां आने वालों को न्यायिक विवादों में भी जीत मिलती है.साथ ही सभी तरह की प्रतियोगिताओं में भी सफलता मिलती है.
मनोकामनाएं पूरी करती हैं माता
भक्तों का विश्वास है कि मां बगलामुखी अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें शक्ति और विजय प्रदान करती हैं. यही वजह है कि नेता से लेकर अभिनेता तक यहां माथा टेकते हैं वहीं तंत्र साधकों की ये तपोभूमि है.
पीले रंग का है ये खास चमत्कारी मंदिर
बगलामुखी मंदिर में पीले रंग की पूजा सामग्री का विशेष महत्व है.मां बगलामुखी को पीला रंग खास भाता है पसंद है. यहीं कारण है मंदिर पीले रंग में रंगा है. मंदिर में पीले ध्वज लहराते हैं.भक्त भी पीले रंग के वस्त्रों में होते हैं.भोग भी पीले भोजन का ही लगाया जाता है.
यहां किया हवन नहीं होता विफल
मान्यता है कि यहां किया हवन कभी विफल नहीं होता.यहां एक बड़ा हवन कुंड है जहां सालोंभर हवन चलता रहता है. मंदिर में एक पवित्र अग्नि कुंड है, जहाँ ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने अपने समय में स्वयं हवन किया था.यह मंदिर के आध्यात्मिक महत्व को और बढ़ाता है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि देवी माँ बगलामुखी ने इसी अनुष्ठान के माध्यम से भगवान राम को दिव्य आशीर्वाद और शक्तिशाली ब्रह्मास्त्र प्रदान किया था.