हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र को बहुत विशेष माना गया है। वहीं कलियुग में मन को शांत करने के लिए गायत्री मंत्र के जाप को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस मंत्र को काफी शक्तिशाली और पवित्र माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि गायत्री मंत्र का जाप करने से न सिर्फ मन को शांति मिलती है बल्कि इससे आत्मा को भी शुद्धि मिलती है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के दिल और दिमाग दोनों को आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़े रखता है। वहीं गायत्री मंत्र का जाप करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस दिशा की ओर मुंह करके गायत्री मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
पूर्व दिशा मानी जाती है शुभ
हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुंह करके गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे आपको मंत्र जाप का पूरा लाभ मिलता है। लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि आप पूर्व दिशा की ओर मुख करके मंत्र का जाप नहीं कर पाते हैं, तो फिर आप उत्तर दिशा की ओर मुख करके गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं। क्योंकि सनातन धर्म में पूर्व और उत्तर दिशा को काफी शुभ माना जाता है।
दक्षिण दिशा में न करें मंत्र का जाप
दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भूलकर भी गायत्री मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस दिशा को नकारात्मक दिशा मानी जाती है। वहीं पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके भी गायत्री मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए। हालांकि अगर आप किसी मुसीबत में फंसे हैं और मुंह की दिशा नहीं बदल सकते हैं, तो आप पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं।
गायत्री मंत्र का हिंदी अर्थ
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। इस गायत्री मंत्र का हिंदी में अर्थ है- ॐ। मैं पृथ्वी, आकाश और स्वर्ग में सूर्य की तेज के समान चमकने वाले ईश्वर की सुंदरता का ध्यान कर रहा हूं। मैं परमात्मा को अपने अंदर धारण करता हूं।