स्वास्थ्य विभाग को छत्तीसगढ़ के शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय में फर्जी जाति प्रमाण पत्र से चार नियुक्तियों की शिकायत मिली है। दो जांच पूरी हो चुकी हैं, जबकि दूसरे जांच में हैं। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने सदन में एक सवाल के जवाब में बताया कि रायपुर के शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय में पदस्थ सहायक प्राध्यापक वर्षा गुर्देकर, प्रदर्शक वीणा डेविड, सह प्राध्यापक नीलम पाल और राजनांदगांव शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय में पदस्थ सह प्राध्यापक ममता नायक के खिलाफ शिकायतें मिली हैं।
शासन और उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने शिकायतों की जांच की है। ममता नायक और नीलम पाल की जाति प्रमाण पत्रों को उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने प्रमाणित किया है। वहीं, वीणा डेविड और वर्षा गुर्देकर के जाति प्रमाण पत्र की जांच चल रही है।
जांच अधिकारी ने नीलम पाल के अन्य पिछड़े वर्गों से संबंधित होकर अनुसूचित जनजाति वर्ग से पदोन्नति का लाभ प्राप्त करने की अनुशंसा की है। डीपीसी कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। शासन ने वर्षा गुर्देकर को लेकर 18 बार टीएल बैठक बुलाई है, लेकिन मामला छानबीन समिति के सामने होने से कोई निर्णय नहीं लिया गया है। मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जांच के दौरान पदोन्नति दी जा सकती है।
मंत्री जायसवाल ने एक प्रश्न पर बताया कि टीबी से पीड़ित लोगों को छह महीने की दवा दी जाती है। मरीज को एक बार हर महीने औषधि दी जाती है। सेंट्रल टीबी डिवीजन द्वारा दवा की आपूर्ति में कमी से राज्य में टीबी के बफर स्टाक में कमी आई। इसलिए मरीजों को एक बार में सिर्फ एक सप्ताह की दवा दी जाती थी। समय पर दवा नहीं मिलने के कारण ड्रग रेजिस्टेंट की कोई समस्या नहीं हुई है।