रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाला मामले को लेकर सियासी पारा चढ़ गया है। राज्य कांग्रेस ने आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि एक आरोपी की जमानत मामले में इन एजेंसियों ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष सह-आरोपी का दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 164 के तहत दर्ज ‘जाली बयान’ वाला दस्तावेज पेश किया।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और विधानसभा में विपक्ष के नेता चरण दास महंत ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आरोपी सूर्यकांत तिवारी की जमानत के मामले में, EOW/ACB ने सह-आरोपी निखिल चंद्राकर के नाम पर CRPC की धारा 164 (जो अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-BNSS के तहत धारा 183 हो चुकी है) के तहत दर्ज कथित बयान को उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत किया।
क्या है CRPC की धारा 164?
CRPC की धारा 164 के तहत किसी आरोपी या गवाह का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज किया जाता है। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि यह एक लिखित बयान होता है और इसे एक गोपनीय दस्तावेज माना जाता है।
भूपेश बघेल ने उठाए सवाल:
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दस्तावेज़ की प्रामाणिकता पर सीधा सवाल उठाते हुए कहा, “चंद्राकर के बयान में प्रयुक्त फॉण्ट, अदालत में प्रयुक्त आधिकारिक फॉण्ट से भिन्न था। यह फॉण्ट कहां से आया और इसे किसने शुरू किया?”
उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “यह स्पष्ट है कि बयान पहले से टाइप करके राज्य के आर्थिक अपराध शाखा/एसीबी के अधिकारियों द्वारा पेन ड्राइव में अदालत में लाया गया था, न कि किसी मजिस्ट्रेट द्वारा कानूनन दर्ज किया गया था।”
फोरेंसिक रिपोर्ट और शिकायत:
बघेल ने दावा किया कि फोरेंसिक विश्लेषण से पता चला है कि दस्तावेज़ में दो अलग-अलग फॉण्ट का इस्तेमाल किया गया था, जिससे यह साबित होता है कि यह अदालत में नहीं बनाया गया था।
इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता और अधिवक्ता गिरीश चंद्र देवांगन ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, रायपुर के समक्ष एक शिकायत दायर कर EOW/ACB के तीन अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि इन अधिकारियों ने धारा 164 के तहत दर्ज किए जाने वाले बयानों को गढ़ा या पहले से तैयार किया और बाद में उन्हें वास्तविक दस्तावेजों के रूप में इस्तेमाल किया। देवांगन ने 12 सितंबर को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार के समक्ष भी इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी।
राजनीतिक इशारे पर काम करने का आरोप:
बघेल ने अपनी बात समाप्त करते हुए आरोप लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED), केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), राजस्व आसूचना निदेशालय (DRI) और आयकर विभाग (IT) जैसी केंद्रीय एजेंसियां अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर काम कर रही हैं और उनके निशाने पर मुख्य रूप से विपक्षी दलों के सदस्य हैं।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के इन आरोपों के बाद राज्य की राजनीति में भूचाल आना तय है। अब देखना यह है कि EOW/ACB और सत्तारूढ़ दल इन गंभीर आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।


