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Tuesday, October 22, 2024

पर्यावरण विभाग- आम जनता हैरान , पर्यावरण संरक्षण मंडल मूक दर्शक बनकर लोक स्वास्थ्य से खुल्लम-खुल्ला खिलवाड़ क्यों कर रहा है ?

नगरीय ठोस अपशिष्ठ का नियमानुसार विनिष्टकरण कार्यवाही भगवान भरोसे क्यों है ?

पर्यावरण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी कब पदेन जिम्मेदारी निभायेंगे ?

रायपुर , बिलासपुर , भिलाई इत्यादि के आरओ जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले अधिकारी की भूमिका क्यों निभा रहे है ?

पूरब टाइम्स , रायपुर . छ.ग. का पर्यावरण संरक्षण मंडल इन दिनों फिर से अपनी गैर ज़िम्मेदाराना कार्यशैली से चर्चा में है. मंडल के द्वारा अनेक लोकोपहितकारी योजनाएं बनीं गईं थी परंतु उनका क्रियांवयन पूरी तरह से फेल होने लगा है. औद्योगिक मामलों में भी अब मंडल की भूमिका बेहद संदिग्ध हो गई है , खासकर रायपुर के क्षेत्रीय कार्यालय की . इसका मुख्य कारण यह है कि किसी भी तरह की पारदर्शिता इस कार्यालय में नहीं बरती जा रही है . सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारियों को या तो नहीं देना या गलत ढंग से देना प्रचलन में आ गया है . शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं होती है , ना ही नोटिसों का जवाब दिया जाता है . दबी ज़ुबान में यह भी बताया यह जाता है कि पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों पर अनेक बार कार्यवाही नहीं होने का कारण, मंत्री के बंगले से आए निर्देश होते हैं. पर्यावरण संरक्षण मंडल के द्वारा खतरनाक अपशिष्ठ , म्यूनिसिपल वेस्ट इत्यादि के संपादन की रिपोर्ट , संबंधित क्षेत्रीय कार्यलयों से सही नहीं आती हैं , जिसकी जांच करने की ज़हमत , मुख्य कार्यालय नहीं करता है . केवल इतना ही नहीं उ. नका संकलन कर,   प्रदेश की वार्षिक रिपोर्ट , राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल को भेज दिया जाता है. इसा तरह से छ.ग. का पर्यावरण संरक्षण मंडल , राष्ट्र की पर्यावरण संरक्षण की वार्षिक रिपोर्ट के डाटा के संदिग्ध होने का ज़िम्मेदार भी बन रहा है . पूरब टाइम्स की एक रिपोर्ट ….

क्षेत्रीय अधिकारी , रायपुर का अनियमित कार्य व्यवहार लोक स्वास्थ्य को अपूर्णीय क्षति पहुंचा रहा है ?

पर्यावरण संरक्षण मंडल का क्षेत्रीय अधिकारी , रायपुर के द्वारा पर्यावरण नियमों को कई मामलों में उल्लंघन करने के आरोपी के तौर पर अपनी पहचान बनाए जा रहा है . उल्लेखनीय है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जो नियम कानून बनाए गए हैं , इसमें लोक स्वास्थ्य को संरक्षित करने की प्रशासकीय सक्षमता है इसलिए इन नियमों के तहत ही पर्यावरण संरक्षण मंडल भिलाई के अधिकारियों को सक्षम प्राधिकारी के तौर पर पदस्थ भी किया गया है लेकिन भिलाई का क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण संरक्षण मंडल लोक स्वास्थ्य खिलवाड़ करने के लिए नगरी ठोस अपशिष्ट, बायो मेडिकल वेस्ट, परीसंकटमय में कचरा वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण जैसे विधि निर्देशित पदेन कर्तव्यों के निर्वहन मामले में कर्तव्य निष्ट नहीं होकर प्रश्नांकित है और पर्यावरण संरक्षण नियमों के तहत प्रतिवर्ष बनाए जाने वाले वार्षिक प्रतिवेदन के विषयवस्तु में भ्रामक जानकारी देने के आरोप का सामना कर रहा है ?

वार्षिक प्रतिवेदन का विश्लेषण एवं तुलनात्मक अध्ययन किया जाना आवश्यक है ? 

गौरतलब रहे की पर्यावरण संरक्षण नियमों के तहत नगरी निकायों एवं अन्य नगरी संरचनाओं जैसे कि भिलाई इस्पात संयंत्र की टाउनशिप एवं निजी कालोनियों को वार्षिक प्रतिवेदन पर्यावरण संरक्षण के नियमों के आधार पर क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण संरक्षण मंडल के समक्ष प्रतिवर्ष प्रस्तुत करना होता है . जिसमें वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, नागरिक ठोस अपशिष्ठ, बायोमेडिकल वेस्ट और अनेक खतरनाक कचरा का वार्षिक प्रतिवेदन बनाए जाने का प्रावधान है . उल्लेखनीय की नगरी निकाय भिलाई, दुर्ग, रिसाली, चरोदा, नंदिनी अहिवार, भिलाई इस्पात संयंत्र और अन्य नगरी निकाय अपना वार्षिक प्रतिवेदन बनाकर क्षेत्रीय अधिकारी भिलाई के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए विधि निर्देशानुसार बाध्य हैं . इसके बाद क्षेत्रीय अधिकारी भिलाई इन वार्षिक प्रतिवेदनों के आधार पर उसका मूल्यांकन कर अपने अभिमत के साथ वस्तुस्थिति दर्शाने वाले वार्षिक प्रतिवेदन बनाकर राज्य एवं केंद्र के पर्यावरण संरक्षण मंडल के पास प्रेषित करता हैं लेकिन विडंबना यह है कि क्षेत्रीय अधिकारी भिलाई जो  वार्षिक प्रतिवेदन बनता है उसका तुलनात्मक अध्ययन एवं प्रशासकीय सुनिश्चित आज तक नहीं हो पाई है अतः लोक स्वास्थ्य संरक्षण और क्षेत्रीय अधिकारी की कर्तव्य निष्ठा का परीक्षण करने के लिए विधि अपेक्षित तुलनात्मक कार्यवाही परीक्षण किया जाना अपेक्षित है ।

लोक स्वास्थ्य से किए जा रहे खिलवाड़ को मौन स्वीकृति देकर क्या हासिल करता है पर्यावरण संरक्षण मंडल का क्षेत्रीय अधिकारी ?

वैश्विक स्तर से पर्यावरण संरक्षण का मामला सभी देशों और शासन व्यवस्थाओं के लिए चिंता का कारण बना हुआ है क्योंकि विश्व लगातार पर्यावरण प्रदूषण के चंगुल में फसता जा रहा है इसलिए सभी देशों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई कड़ें कानून बनाए हैं. भारत भी नियम बनाने के मामले में कहीं पीछे नहीं है लेकिन क्षेत्रीय अधिकारी स्तर से जो पदेन जिम्मेदारी का निर्वहन किया जाना अपेक्षित होता है , उस जिम्मेदारी को क्षेत्रीय अधिकारी बिलसपुर कर्तव्य निष्ठा के साथ पूरी करता नहीं दिख रहा है. जिसका कारण यह है कि प्रशासकीय अनुश्रवण और सामाजिक अंकेक्षण विषय पर कोई कार्य नहीं कर रहा है. अतः अपेक्षित है कि बिलसपुर और अन्य जिलों के लोक स्वास्थ्य को बचाना है तो क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल के कार्य व्यवहार पर सतत निगरानी रखी जानी चाहिए ।

क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण रायपुर व भिलाई के कार्य क्षेत्र में बड़े उद्योग और छत्तीसगढ़ की बड़ी टाउनशिप तथा बड़े अस्पताल आते हैं लेकिन इनके वार्षिक प्रतिवेदन पर क्षेत्रीय अधिकारी गैर जिम्मेदाराना तरीके से अनुश्रवण करते हैं , अतः आवश्यक है कि वार्षिक प्रतिवेदन का सामाजिक अंकेक्षण किया जाय।


अमोल मालुसरे 
सामाजिक कार्यकर्ता एवं राजनैतिक विश्लेषक

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