बिलासपुर। गढ़कलेवा (रेस्टोरेंट) का उद्देश्य हर व्यक्ति को छत्तीसगढ़ी भोजन का स्वाद चखना है। इसका आयोजन शहर के जिला पंचायत परिसर और शहीद हेमू कालोनी चौक में किया जा रहा है। जहां सुबह से ही छत्तीसगढ़ी खाने की मिठास फैलने लगती है गढ़कलेवा की महक आने के साथ लोग छत्तीसगढ़ी भोजन का स्वाद चखने के लिए आकर्षित होने लगते हैं. चंद सालों में ही गढ़कलेवा ने व्यंजनों में अपनी एक अलग पहचान बना ली है।
यहां छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन जैसे चीला, फरा, बफौरी, चौसेला, धुसका, उड़द बड़ा, मूंग बड़ा, माढ़ा पीठा, पान रोटी, गुलगुला, बबरा, पीड़िया, बीड़िया, अरसा, बबरा, खाजा, पूरन लड्डू, खुरमी, देहरौरी, करी लड्डू और पपची के साथ अन्य पारंपरिक भोजन का लुत्फ सहजता के साथ उठाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद चखने के लिये लोगों की लंबी कतार यहां देखी जा सकती है। गढ़कलेवा में प्रतिदिन लगने वाली लोगों की भीड़ इसके सफल संचालन को साबित करने के लिये पर्याप्त है। गढ़कलेवा का संचालन बिलासा महिला स्व-सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है।
स्व सहायता समूह की महिलाओं ने गढ़कलेवा में अपने लिए रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के साथ ही उन महिलाओं को भी रोजगार देने का काम रही हैं जो छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाती है। घरों में बैठकर ये महिलाएं गढ़कलेवा के लिए छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाकर आपूर्ति कर रही है और अच्छा खासा आय भी कमा रही है। स्वावलंबी बनने के साथ ही स्वरोजगार की दिशा में महिलाएं आगे बढ़ रही है। महिला स्वावलंबन का इससे अच्छा उदाहरण और कहीं देखने को नहीं मिलेगा।