हटकेश्वर महादेव मंदिर को छत्तीसगढ़ का मिनी काशी कहा जाता है। प्राचीन शिवलिंग पर मनोकामना पूर्ति के लिए श्रद्धालु जल अर्पित करते हैं।
रायपुर। सावन महीने के पहले ही दिन शिवालयों में बाबा भोलेनाथ के नाम का जयघोष गूंजने लगा है। हर हर महादेव के जयघोष से मंदिरों और शिवालयों का वातावरण शिवमय हो गया है। वहीं छत्तीसगढ़ के मिनी काशी के नाम से प्रचलित रायपुर के हटकेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से शिवभक्तों की भीड़ उमड़ी।
राजधानी के ह्दय स्थल जयस्तंभ चौक से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर हटकेश्वर महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। ऐतिहासिक बूढ़ा तालाब से लाखेनगर, सुंदर नगर होते हुए शहर की सीमा पर बहने वाली खारुन नदी के तट पर महादेवघाट है। तट पर ही ऐतिहासिक हटकेश्वर महादेव मंदिर है। इस मंदिर में दर्शन करने और जलाभिषेक करने के लिए श्रावण माह में हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
विशेषता – हटकेश्वर महादेव मंदिर को छत्तीसगढ़ का मिनी काशी कहा जाता है। प्राचीन शिवलिंग पर मनोकामना पूर्ति के लिए श्रद्धालु जल अर्पित करते हैं। नदी के एक ओर से दूसरी ओर जाने के लिए लक्ष्मण झूला आकर्षण का केंद्र है। मंदिर में दर्शन करने के साथ ही श्रद्धालु नदी में नौकायन का आनंद लेते हैं। तट पर श्मशानघाट और मां काली का मंदिर है। हरिद्वार के हरकी पौड़ी की तरह महादेवघाट तट पर भी अस्थियों का विसर्जन करने की परंपरा निभाई जाती है।
मान्यता – ऐसी मान्यता है कि हजारों साल पहले नदी में स्वर्ण के कण पाए जाते थे। द्वापर युग में खारुन नदी को द्वारकी नदी के नाम से जाना जाता था। हैहयवंशी राजा ब्रह्मदेव जब शिकार के लिए पहुंचे तब नदी किनारे शिवलिंग बहता नजर आया। राजा ने शिवलिंग को नदी के किनारे ही मंदिर का निर्माण करके प्रतिष्ठापित करवाया। कालांतर में कल्चुरी शासक भोरमदेव के पुत्र राजा रामचंद्र ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया।
तीन बार मेला
मंदिर के पुजारी पं.सुरेश गिरी गोस्वामी ने बताया, श्रावण में प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग का विविध सामग्री से श्रृंगार किया जाएगा। महादेव घाट पर एक साल में तीन बार मेला का आयोजन किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि पर शिवलिंग का रुद्राभिषेक पूजन करने हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं। मंदिर के आसपास 30 से अधिक मंदिर है।