सीएसवीटीयू संबंधित ज्वलंत मुद्दों को कचरे की टोकरी तक कौन पहुंचाता है ?
विश्वविद्यालय की प्रशासकीय अनियमितताओं को संरक्षण कौन देता है ?
संबद्धता प्राप्त महाविद्यालयों द्वारा मान्यता अनुबंध शर्तों का अनुपालन होता है क्या ?
पूरब टाइम्स , भिलाई . इन दिनों छ.ग, स्वामी विवेकानंद तकनीकि विश्व विद्यालय अपनी अनियमित कार्य प्रणाली के कारण सुर्खियों में है . जहां एक तरफ समाज सेवकों व छात्रों के द्वारा कुल सचिव के अनेक कार्यों पर उनगली उठाई जा रहीं हैं वहीं दूसरी तरफ महिला सुरक्षा के नियमों को ताक पर रखने की शिकायतें भी आ रहीं हैं अपारदर्शोता का आलम यह है कि जिन जानकारियों को स्वस्फूर्त होकर पब्लिक डोमेन में डाल दिया जाना चाहिये था उनके लिये भी सूचना के अधिकार से जानकारी लेने के आवेदन लगवाये जा रहे हैं . अनेक समाज सेवकों के अनुसार बात यहीं तक आकर रुकती नहीं है , सूचना के अधिकार से मांगी गई जानकारियां अस्पष्ट , अधूरी या फिर गलत दे दी जाती हैं . मामला अब मीडिया में भी आने लगा है . सभी आशा लगाये हैं कि छ.ग. शासन व निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की अहल पर इस दिशा में जल्दी से जल्दी आवश्यक कार्यवाही की जायेगी . पूरब टाइम्स की एक रिपोर्ट …
विश्विद्यालय और उससे संबद्धता प्राप्त महाविद्यालयों में महिला सुरक्षा सुनिश्चित करवाने के मामले में कुलसचिव सीएसवीटीयू की मंशा क्या है ?
छत्तीसगढ़ सरकार का तकनीकी विश्वविद्यालयों सीएसवीटीयू और उससे संबद्धता प्राप्त महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्राओं तथा इनमें कार्यरत महिलाओं की सुरक्षा को कुलसचिव सीएसवीटीयू ने भगवान भरोसे छोड़ दिया है. गौर तलब रहे कि सीएसवीटीयू के कार्यक्षेत्र में महिला सुरक्षा सुनिश्चित करवाने वाले नियमों को रद्दी को टोकरी में डालने वाली कार्य प्रणाली से कार्य करता कुलसचिव सीएसवीटीयू नजर आ रहा है क्योंकि कार्यस्थल पर महिला सुरक्षा नियम कानून के तहत शासन के समक्ष प्रस्तुत किए जाने वाले वार्षिक प्रतिवेदन तक जन सामान्य की पहुंच स्थापित नहीं की गई है ।
कुलसचिव सीएसवीटीयू की प्रशासकीय कार्य पद्धति प्रदेश की तकनीकी शिक्षा को दिशाविहीन तो नहीं कर देंगी ?
अनियमित है कि, सीएसवीटीयू कुलसचिव विश्वविद्यालय का पूर्णकालिक वैतनिक अधिकारी होगा और वह इस अधिनियम के अधीन अपने कर्तव्यों का निर्वहन कुलपति के साधारण अधीक्षण तथा नियंत्रण के अध्यधीन रहते हुए करेगा. वह सभा के, कार्य परिषद् के, विद्या परिषद के अन्य विद्या संबंधों योजना तथा मूल्यांकन बोर्ड के सचिव के रूप में कार्य करेगा.कुल सचिव परिनियमों में अन्यथा उपबंधित कार्य परिषद् के शक्तियों के अध्यधीन रहते हुए, कुल सचिव, यह देखने के लिये उत्तरदायी होगा कि समस्त धन उसी प्रयोजन के लिये व्यय किये जाते हैं जिसके लिये लिए वे मंजूर या आवंटित किये गये हैं। गौरतलब रहे ही कुल सचिव सीएसवीटीयू अपने इन प्रावधानित पदेन कर्तव्य पूरा नहीं कर रहा है और स्वयं के साथ – साथ विश्वविद्यालय को भी अपने कार्य व्यवहार से प्रश्नांकित कर रहा है।
पारदर्शिता पूर्ण प्रशासकीय कार्य व्यवहार मामले में कुलसचिव सीएसवीटीयू को सवालों के कटघरे में खड़ा करने वाली परिस्थिति क्या है ?
सीएसवीटीयू अधिनियम द्वारा या छत्तीसगढ़ शासन द्वारा उपबंधित किसी विशेष निर्देशों के सिवाय, समस्त संविदाएं विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव द्वारा हस्ताक्षरित की जाएंगी और समस्त दस्तावेजों तथा अभिलेख विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव द्वारा अधिप्रमाणीकृत किए जाएंगे। कुल सचिव ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा और ऐसे कर्त्तव्यों का पालन करेगा जो कि परिनियमों, अध्यादेशों और विनियमों द्वारा उसको प्रदत्त की जाएं या उस पर अधिरोपित किए जाएं। ऐसा स्पष्ट नियम है लेकिन सीएसवीटीयू कुलसचिव इन शासकीय निर्देशों का अनुपालन कर सीएसवीटीयू की प्रशासकीय कार्यवाहियों की समयबद्ध तरीके से पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं करवा रहा है परिणाम स्वरूप सीएसवीटीयू की विश्वसनीयता दांव पर लग गई है
कुलसचिव सीएसवीटीयू की प्रशासकीय कार्य पद्धति प्रावधानित पारदर्शिता के अभाव में प्रथम दृष्टांत शंकास्पद है जिसके कारण कुल सचिव को विधिक चुनौती दिए जाने की स्थिति बनी हुई है जिस पर समय रहते शासन के तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा संज्ञान लिया जाना चाहिए
अमोल मालूसरे , सामाजिक कार्यकर्ता