–क्या छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के पदेन प्राधिकारी आर्थिक अनियमितताओं को फ़ाइलों में
दफन करने में सफल हो जाएंगे ?
-क्या आर्थिक अनियमितताओं को उजागर करने के लिए छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल का
प्राधिकृत अधिकारी सांठगांठ से काम करता है ?
-जब आर्थिक अनियमितताओं को उजागर करने के लिए केंद्रीय स्तर से प्रशासकीय प्रयास होंगे
तब क्या ऐसे प्रयासों को रोकना संभव होगा ?
पूरब टाइम्स , रायपुर . छ.ग. गृह निर्माण मंडल अब फिर से कई नये प्रोजेक्ट शुरू करने ईक कगार पर है , जिसके लिये प्रदेश की वर्तमान सरकार उन्हें हर तरह की मदद कर रही है परंतु साथ ही साथ अनेक समाजसेवियों द्वारा इस गृह निर्माण मंडल की अनियमितताओं के गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं . विदित हो कि छ.ग. गृह निर्माण मंडल का उद्देश्य छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों में रहने वालों को उचित दर पर , उचित सुविधायुक्त व वैधानिक रूप से पूर्णतः सही प्रॉपर्टी व मकान देना था. शुरुआत में यह कार्य सुनियोजित तरीक़े से चला परंतु अपने कार्यों की कम गुणवत्ता व सुविधाओं की कमी के चलते अनेक ग्राहक उपभोक्ता फोरम में केस लगाकर मुआवजा मांगने लगे. बात यहीं तक नहीं रुकी , धीरे धीरे यह मंडल एक भ्रष्टाचार के अड्डे के रूप में बदनाम होने लगा क्योंकि पिछले कई सालों में कैग से ऑडिट नहीं होना , प्रोजेक्ट दर ,प्रोजेक्ट खर्चा बढ़ना व कई तरह के अनियमित विविध खर्च किये जाने की खबरें आने लगीं . हालत ये होने लगे कि गुणवत्ता में कमी व प्रोजेक्ट में देरी के कारण , उपभोक्ताओं ने कई प्रोजेक्ट में रुचि नहीं दिखाई व प्रोजेक्ट फेल होने लगे . उधर भ्रष्टाचार के कई केसेस जैसे कि भिलाई के तालपुरी के प्रोजेक्ट इत्यादि भी सामने आने से इस मंडल के कृत्यों पर जागरुक लोगों की नज़रें गड़ी हुई हैं . अब तो बोर्ड की मीटिंग इत्यादि में लिये निर्णयों का भी विश्लेषण किया जाने लगा है . छ.ग. गृह निर्माण मंडल की जानकारियों के बारे में चलाये जाने वाले धारावाहिक की पूरब टाइम्स में पहली रिपोर्ट …
जब गड़बड़ियों की खोजबीन के बाद प्रदेश की सरकार को जनता की अदालत में जवाब देना पड़ेगा , तब किस पर गाज गिरेगी ?
छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल की कार्यवाहियों पर विषय विशेषज्ञों की नजर टिकी है क्योंकि एक
प्रश्न चर्चा में है वह यह कि क्या छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल की कार्यवाहियों को विधिक
आवरण का संरक्षण प्रदान करने का प्रयास प्रारंभ हो गया है ? इस प्रश्न का उत्तर खोजने वालों
के चक्कर में , इन दिनों छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के शीर्ष कार्यालयों मे असहज प्रशासनिक
माहौल बना हुआ है . जिसका असल कारण क्या है ? यह अभी उजागर नहीं हुआ है लेकिन
छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के बड़े अधिकारियों के द्वारा आनन फानन मे करवाई गई
अभूतपूर्व कागजी कार्यवाहियों और निर्णयों में , सरकार बदलने के पहले पूर्व मंडल अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा से हस्ताक्षर करवाकर लीपा- पोती करने के अनेक असफल प्रशासनिक प्रयास कई शंकाओं को जन्म दे रहा है . यह शासकीय आर्थिक गतिविधियों पर नजर रखने वाली संस्थाओं का ध्यान में है . गौर तलब रहे कि विगत कई महीनों से छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के शीर्ष अधिकारी ऐसे कार्यवाहियों पर प्रदेश शासन की सहमति और संरक्षण साबित करने का असफल प्रयास कर रहे हैं , जो किसी भी प्रावधानित आधार पर विधि सम्मत नजर नहीं आ रहा है इसलिए स्वाभाविक है कि गड़बड़ी पकड़ने वाले सक्रिय होकर खोजबीन का कार्य करने में लग ही गए होंगे .
क्या अधिकारियों की आपसी टकराहट कहीं बड़ी दंडात्मक कार्यवाही होने की आशंका के कारण जन्म तो नहीं ले रही है ?
लोकतांत्रिक व्यवस्था के स्थापित मानकों के विरूद्ध छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के प्राधिकारियों
की बैठक में लिये गये निर्णय कितने महत्व रखते है ? यह अनुत्तरित प्रश्न, मिलीभगत
के कारण छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल की फाइलो में दबा हुआ था लेकिन सूत्रों के अनुसार
छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के निर्णायक प्राधिकारियों को भ्रामक जानकारियां देकर कई बड़ी
आर्थिक अनियमितताओं को लुकाने छिपाने का प्रयास बड़े अधिकारी कर रहे है . वे व्यय शीर्ष
की राशि में से विधि विरूद्ध आहरित की गई राशि को आंकड़ों के मकड़ जाल में छिपाने का
भरसक प्रयास भी कर रहे हैं . इस तथाकथित आरोप को गोपनीय तरीके से लगाने वाले
असंतुष्ट अधिकारी, पर्दे के आगे आकर ऐसे गंभीर आरोपों को अब तक सार्वजनिक नहीं कर रहें
थे परन्तु अब जब वित्तीय संकट के दौर से छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल गुजर रहा है , तब सभी
गोपनीय बनाए गए आहरण मद धीरे धीरे सामने आने लगे है और लेखा परीक्षकों की नजरों में
आकर आडिट आपत्ति की शक्ल में भी सामने आ रहे हैं . जिसके कारण छत्तीसगढ़ गृह निर्माण
मंडल के प्रशासनिक अधिकारियों के बीच खींचतान चल रही है इसलिए जल्द ही अधिकारियों की
आपसी टकराव जगजाहिर होने की स्थति में होगी . अब देखना यह है कि कब और किस कारण
यह प्रशासनिक टकराव अखबारों की सुर्खियों में जगह बनाएगा .
छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के शीर्ष प्रशासनिक पदों में पदस्थ अधिकारी क्या ऐसी अविधिक प्रशासनिक कार्यवाही कर चुके है जो न्यायालयीन चुनौती देने लायक है ?
बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारियों ने जाने –
अनजाने कुछ ऐसी कार्यवाहियां की है जो आर्थिक व्यवहार के नियम कानून के दृष्टिकोण से
अनियमित है लेकिन इस विषय के जानकार अपना यह भी तर्क दे रहे है कि जब आर्थिक
अनियमितताओं के मामले न्यायालय में पेश होते है तो आरोपी लोक सेवकों को अपना पक्ष रखने
का अवसर मिलता है और कई मामलों में इस दृष्टिकोण से न्यायालय विचारण करता है कि
आर्थिक अनियमितताओं का आरोपी का उद्देश्य विभाग की व्यवहारिक कार्यवाही के मतानुसार
कितना विधि सम्मत है ? वैसे तो यह विषय न्यायालयीन कार्यवाहियों का हिस्सा है तथा आर्थिक
अनियमितताओं के मामलो मे न्यायालय का निर्णय को जानने की उत्सुकता सभी पक्षकारों को
होती है . इसके साथ साथ यह भी स्वाभाविक है कि आरोपी अधिकारियों को न्यायलयीन
कार्यवाही का सामना करते समय सतत यह प्रश्न विचलित करता रहता है कि कहीं न्यायालय
अधिकारियों की कार्यवाहियों को प्रश्नांकित तो नहीं कर देगा ? इसलिए छत्तीसगढ़ गृह निर्माण
मंडल के शीर्ष अधिकारियों द्वारा कि गई कार्यवाहियों का पुनःनिरीक्षण किए जाने का व लेखा
संप्रिक्षक की प्रतिक्रिया का डर सता रहा है
छ.ग. हाउसिंग बोर्ड को सरकार की तरफ से कितनी ही सहुलियतें दी गईं फिर भी नुकसान में
जाता रहा है . अनेक अनियमितताओं की आनकारी होने पर उच्च अधिकारियों व राजनैतिक संरक्षण के कारण दोषियों को दंडित नहीं किया गया . अब देखने वाली बात यह होगी कि वर्तमान की भाजपा सरकार कितना एक्शन लेती है
अमोल मालुसरे
समाज सेवक व सामजिक अंकेक्षक