रायपुर और जशपुर के प्रयास विद्यालयों पर क्यों उठ रहे हैं कई सवाल ?
छात्रों को होने वाली परेशानियों की सुध लेने वाले अधिकारी कहां है ?
कोचिंग संस्थानों का मूल्यांकन करने वाली कार्यवाही कब होगी ?
जल संसाधन सचिव ने की अभूतपूर्व पहल ठेकदारों की जवाबदेही सुनिश्चित हुई
छ्त्तीसगढ़ के प्रयास आवासीय विद्यालय, जो छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कोचिंग सेवाएँ प्रदान करने के लिए स्थापित किए गए हैं, यह नीट व जेईई जैसे प्रतियोगि परीक्षा की तैयारी करवाने वाली संस्था अध्यापन कार्य कर रहें है लेकिन ये संस्थानों अब गंभीर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों के घेरे में हैं। राज्यभर में स्थापित प्रयास आवासीय विद्यालय विशेष रूप से विवादो का केंद्र बन गए हैं। पिछले तीन वर्षों से, इन विद्यालयों में ट्यूशन व कोचिंग सेवाओं के लिए निविदा (टेंडर) प्रक्रिया नहीं की जा रही है, जिससे पुरानी कोचिंग संस्थाओं, जैसे चौखंबा, मैट्रिक्स और एड्यूटेक व अन्य कोचिंग संस्था ने अपनी पकड़ बना ली है। आरोप है कि इन संस्थानों ने अधिकारियों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार का खेल खेला है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
कोचिंग संस्थानों की चयन प्रक्रिया पारदर्शिता के अभाव में विवादास्पद बनकर शासन की छवि दागदार कर रहीं है ।
प्रयास आवासीय विद्यालयों में, पहले ट्यूशन सेवाओं के लिए कोचिंग संस्थानों का चयन पारदर्शी निविदा प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता था। निविदा प्रक्रिया के अंतर्गत सक्षम और योग्य संस्थाओं को मौका मिलता था, जिससे की छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सके लेकिन पिछले तीन वर्षों से यह प्रक्रिया रोक दी गई है, और चौखंबा जैसे पुराने संस्थान नियम विरुद्ध इसका लाभ उठाकर अपनी पकड़ बनाए हुए हैं। इन पर आरोप है ! कि वे अधिकारियों और प्रधानाचार्यों से मिलकर ऐसी व्यवस्था बनाए हुए हैं, जिसके चलते निविदा की प्रक्रिया को नजरअंदाज किया जा रहा है ताकि बाहरी योग्य और प्रतिस्पर्धा करने वाले संस्थान इस क्षेत्र में प्रवेश न कर सकें।
छात्रों के हितों की अनदेखी करने वाले अधिकारियों की अनियमितताएँ अब प्रश्नांकित होने लगी हैं ।
प्रयास विद्यालयों में कोचिंग देने का ठेका लेने वाले संस्थान, अधिकारियों और प्रधानाचार्यों के साथ मिलकर छात्रों के लिए एक से अधिक कक्षाओं का अध्यापन ठेका कार्य अपने हाथ में ले रहे हैं। शिक्षको का आरोप है कि, 10वीं कक्षा के शिक्षकों से 9वीं की कक्षाएँ और 12वीं कक्षा के शिक्षकों से 11वीं की कक्षाएँ पढ़वाई जा रही हैं, लेकिन इन शिक्षकों को इसके लिए किसी तरह का अतिरिक्त पारिश्रमिक नहीं दिया जाता है क्योंकि इन ट्यूशन ठेका सेवाओं के लिए मिलने वाली राशि का एक बड़ा हिस्सा कोचिंग संस्थान अधिकारियों और प्रधानाचार्यों को रिश्वत के रूप में दे देते हैं। जबकि निविदा में प्रत्येक कक्षा में सभी विषयों के लिए अलग बीएड अहर्ताधारी अध्यापक की मांग की गई है लेकिन बीएड अहर्ताधारी शिक्षक के स्थान पर स्नातक शिक्षक जिन्होंने द्वितीय डिवीजन में स्नातक किया है ऐसे अनियमित अध्यापक पढ़ा रहें है और ऐसे अनुभवहीन शिक्षक बच्चों का भविष्य बिगाड़ रहे। छात्रों और उनके अभिभावकों में इस बात को लेकर आक्रोश है कि मिलीभगत कार्य व्यवहार के कारण शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। हाल ही में, रायपुर के प्रयास विद्यालय के छात्रों ने इस मुद्दे पर आवाज उठाई और विधानसभा तक पहुँचे, जहाँ उन्होंने ठेकदर चौखंबा सोसाइटी को हटाने और निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता की माँग की। छात्रों का कहना है कि ऐसी गड़बड़ियों के कारण उनके भविष्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
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करोड़ों के शासकीय खर्च पर शिक्षणिक रिजल्ट शून्य क्यों ? हर स्कूल के औसतन 400 विद्यार्थियों के लिए प्रति वर्ष 2 करोड़ रु से ज्यादा की राशि कोचिंग संस्था को दी जाती हैं लेकिन कोचिंग का ठेका लेने वाले संस्थान नियमानुसार निर्देशित अहर्ता वाले टीचर्स नहीं भेजे रहे है जबकि इसमें से आधी राशि भी टीचर्स पर खर्च की जाए तो गवर्मेंट को अच्छे टीचर्स मिल जाते।
अमोल मालुसरे समाज सेवक
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प्रतियोगिता परीक्षाओं में कितने विद्यार्थियों का चयन हुआ है ?
छत्तीसगढ़ के आदिमजाति कल्याण विभाग के द्वारा इस प्रश्न को अनुत्तरित छोड़ दिया गया है की कितने विद्यार्थी का चयन NIT,IIT,AIMS या गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज में हुआ है । जबकि इस वर्ष से संचालित रायगढ़ प्रयास आवासीय विद्यालय बिना निविदा के चौखम्भा सोसाइटी को कोचिंग कार्य दिया गया। विभाग यह बताने में असमर्थ है कौन सी उपलब्धि के कारण यह निर्णय लिया! विगत वर्षों में न तो चौखम्भा सोसाइटी ने जशपुर प्रयास में कोचिंग कार्य से एक भी विद्यार्थी का चयन NIT,IIT,AIMS या गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज में नहीं हुआ। ऐसा बताया जा रहा है ।
जशपुर प्रयास विद्यालय में छुट्टियों के दौरान परीक्षा की घोषणा किसने की है ?
जशपुर के प्रयास आवासीय विद्यालय में, चौखंबा संस्थान ने छुट्टियों के दौरान छात्रों को बुलाकर अर्धवार्षिक परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया। हालाँकि, अभी अक्टूबर में ही तिमाही परीक्षाएँ समाप्त हुई थीं, फिर भी संस्थान ने जल्दबाजी में अर्धवार्षिक परीक्षा की तिथि 6 नवंबर निर्धारित कर दी और व्हाट्सऐप पीटीएम ग्रुप में इसकी सूचना दी। निविदा को बनाए रखने के उद्देश्य से संस्थान ने इस तरह की जल्दबाजी दिखाई ताकि छात्रों की परीक्षा समाप्त होते ही निविदा का नवीनीकरण करवाया जा सके। इस मामले में कार्यकारी प्रधानाचार्य बी.आर. भतपरे ने भी संज्ञान नहीं लिया और अभिभावकों के फोन कॉल्स पर प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे छात्रों और अभिभावकों में निराशा और गुस्सा बढ़ गया है।
अभिभावकों की बढ़ी चिंता और गुस्सा !
व्यथित अभिभावकों ने नाम न बताए जाने की शर्त पर अपनी व्यथा बताते हुए कहा, “छात्रों को छुट्टियों में बुलाना और जल्दी-जल्दी परीक्षा कराना उनके बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षिक प्रदर्शन पर बुरा प्रभाव डालता है।” कई अभिभावक अचानक होने वाले अर्धवार्षिक परीक्षा से डर गए हैं व अधिकतर किराए पर गाड़ी कर जलबाजी में अपने बच्चों को शाला में छोड़ते दिखाई दिए क्योंकि शाला प्रबंधक एवं कोचिग संचालिको के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार और शाला संचालन कार्यवाही की पारदर्शिता की कमी विद्यार्थियों और अभिभावकों को परेशानी में डाल रहीं है ।
अर्धवार्षिक परीक्षा की अनियमित घोषणा
प्रयास शाला संचालन के अनियमित दिनचर्या के साथ परीक्षाओं का आयोजन भी आकस्मिक निरीक्षण के आभाव में गड़बड़ी पूर्ण होता है बताया जा रहा है की विगत दिनों जशपुर प्रयास में कोचिंग संस्थान ने जल्दबाजी में अर्धवार्षिक परीक्षा की तिथि 6 नवंबर निर्धारित कर दी हैं जबकि आरोप है की विद्यार्थियों को 3 नवंबर को परीक्षा आयोजन की जानकारी दिए जाने का आरोप है जल्दबाजी में परीक्षा आयोजन किए जाने का यह अनुमान लगाया जा रहा है की अगर अर्धवार्षिक परीक्षा हो जाती हैं तो निविदा प्रक्रिया में कोचिंग संस्थान को प्राथमिकता दी जाएगी। गौर तलब रहे कि, छत्तीसगढ़ के प्रयास आवासीय विद्यालयों में ट्यूशन सेवाओं के चयन में जिस प्रकार से निविदा प्रक्रिया को दरकिनार किया गया है और पुराने संस्थानों को अनुचित लाभ दिया गया है, उससे शिक्षा प्रणाली में गंभीर अनियमितताओं का संकेत मिलता है। अधिकारियों और प्रधानाचार्यों की मिलीभगत ने छात्रों के हितों की अनदेखी की है और शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
रायपुर जशपुर प्रयास का है बुरा हाल
रायपुर और जशपुर के प्रयास आवासीय विद्यालयों में कोचिंग संस्थानों, अधिकारियों और प्रधानाचार्यों की मिलीभगत से हो रही अनियमितताओं ने शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता की कमी को उजागर किया है। निविदा प्रक्रिया को पुनः लागू कर एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शिक्षकों को उचित पारिश्रमिक मिल सके। राज्य सरकार से यह उम्मीद की जा रही है कि वह इस मामले की गंभीरता से जाँच करे, जिससे छत्तीसगढ़ के प्रयास आवासीय विद्यालयों की शिक्षा प्रणाली में सुधार हो सके और छात्रों का भविष्य सुरक्षित हो।