छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संगठन चुनावों के दौरान आंतरिक गुटबाजी और निर्णय प्रक्रिया में गतिरोध ने पार्टी के भीतर चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर दी है। 467 मंडलों में से 30-35 मंडलों में मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति अटकी हुई है, जिसके कारण जिला अध्यक्षों के चुनाव भी अगले साल तक टलने की संभावना है।
मुख्य मुद्दे:
- उम्र और पद की बाध्यता:
संगठन चुनाव प्रभारी खूबचंद पारख के अनुसार, प्रस्तावित नामों पर निर्णय लेने में उम्र की सीमा और लगातार दो बार अध्यक्ष नहीं बनने के नियम बाधा बन रहे हैं। - सहमति की कमी:
वरिष्ठ नेताओं के बीच सहमति नहीं बनने से सूची घोषित करने में देरी हो रही है। - गुटबाजी का असर:
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान भी पार्टी की गुटबाजी खुलकर सामने आई, जिससे पार्टी की आंतरिक समस्याएं और स्पष्ट हो गईं। - आने वाले कदम:
- 22 और 23 दिसंबर को जिला स्तरीय बैठकें आयोजित की जाएंगी।
- प्रत्येक जिले से 3-5 नामों का पैनल तैयार होगा।
- मंडल अध्यक्ष और जिला प्रभारी मिलकर जिला अध्यक्ष का चुनाव करेंगे।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया:
कांग्रेस ने भाजपा की इस स्थिति पर कटाक्ष करते हुए इसे पार्टी में लोकतंत्र की कमी का उदाहरण बताया। कांग्रेस नेता विकास उपाध्याय ने कहा कि भाजपा संगठन और सदन दोनों में एकता और सामंजस्य स्थापित करने में विफल रही है।
आगे की चुनौतियां:
भाजपा को जिला अध्यक्षों का चुनाव सर्वसम्मति से करना मुश्किल हो सकता है, जिससे पार्टी के भीतर समन्वय की कमी और उजागर होगी। गुटबाजी और आंतरिक संघर्षों से उबरकर संगठन को मजबूत करना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी।