अविभाजित मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं जननेता स्व. पंडित रविशंकर शुक्ल की जयंती के अवसर पर 2 अगस्त, 2024 को भिलाई के सेक्टर-9 स्थित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र, सेक्टर-9 के सम्मुख स्थापित पं. शुक्ल की प्रतिमा के समक्ष प्रातः 10.00 बजे एक सादे जयंती समारोह का आयोजन किया गया। पूर्व विधायक बी डी कुरैशी, पूर्व पार्षद एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रभुनाथ मिश्रा, जिला कांग्रेस समिति के अध्यक्ष मुकेश चंद्राकर, माया रानी शुक्ला के नेतृत्व में में जिला कांग्रेस के पदाधिकारियों, कांग्रेस सेवादल और इस्पात नगरी के नागरिकों ने स्व. पं. रविशंकर शुक्ल और स्व. पं. विद्याचरण शुक्ल को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
शुक्ल जयंती समारोह के आयोजन में स्व. पंडित रविशंकर शुक्ल और स्व. विद्याचरण शुक्ल के योगदान का स्मरण किया गया। बारिश के बावजूद भी इस्पात नगरी सदस्य आयोजन स्थल पर आते रहे और पुष्पांजलि के साथ अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर भिलाई इस्पात संयंत्र के महाप्रबंधक (जनसंपर्क) प्रशान्त तिवारी, कांग्रेस के सदस्यगण, कान्यकुब्ज सामाजिक चेतना मंच के स्वदेश शुक्ला, जयेश शुक्ला, सी के तिवारी, कांग्रेस सदस्य और पत्रकार सतीश कुमार पारख, वरिष्ठ पत्रकार एवं उत्कल समाज के नेता अशोक पंडा, आर डी कौरी, छत्रपाल सिंह सिरमौर, नीतिन कश्यप, वीर बहादुर सिंह, योगेश सहारे, ढाल सिंह बंजारे सिन्हा जी सहित अनेक लोगों ने पं. रविशंकर शुक्ल के चित्र पर पुष्प अर्पित किया।
दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मुकेश चंद्राकर ने कार्यक्रम के पूर्व सभी का स्वागत किया और पं. शुक्ल के योगदानों की चर्चा की। आयोजन में सभी ने स्व. पंडित रविशंकर शुक्ल और स्व. विद्याचरण शुक्ल के योगदान का स्मरण किया और उनके दूरदर्शी प्रयासों की सराहना करते हुए प्रेरणादायक बताया। भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना से अंचल की चहुंमुखी प्रगति उनकी दूरदृष्टि का ही सुफल है। कार्यक्रम का संचालन और अंत में धन्यवाद ज्ञापन पं रविशंकर शुक्ल सामाजिक एवं सांस्कृतिक समिति के महासचिव श्री मनोज मिश्रा ने किया।
उल्लेखनीय है कि देश के सर्वश्रेष्ठ एकीकृत इस्पात संयंत्र की भिलाई में स्थापना में पंडित रविशंकर शुक्ल ने आधारभूत भूमिका निभाई थी। पं. जगन्नाथ शुक्ल एवं तुलसी देवी के पुत्र के रूप 2 अगस्त, 1876 में सागर में जन्में पं. रविशंकर शुक्ल बचपन से ही मेधावी रहे। उनकी प्राथमिक शिक्षा सागर में ही हुईं। व्यवसाय के कारण पिता जगन्नाथ शुक्ल के छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में आ जाने के कारण पं. शुक्ल ने अपनी मिडिल स्कूल की शिक्षा राजनांदगांव से शुरू की। कुछ ही समय बाद पिता के रायपुर आने से पं. शुक्ल ने अपनी शिक्षा रायपुर में जारी रखी। जबलपुर के रॉबिनसन काॅलेज से इंटरमीडिएट और नागपुर के हिसलाॅप काॅलेज से शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही युवा पं. शुक्ल कांग्रेस के आंदोलन से प्रभावित हो गये थे। 1899 में 22 वर्ष की उम्र में पं. शुक्ल स्नातक हो गये।
1898 में अमरावती में हुए कांग्रेस के 13 अधिवेशन में पं. शुक्ल ने अपने शिक्षक के साथ भाग लिया और देश के अनेक तत्कालीन महानायकों के संपर्क में आये। यही से पं. शुक्ल की राजनैतिक जीवन और आजादी के आंदोलन की यात्रा प्रारंभ हुई। 50 वर्ष के अपने राजनैतिक एवं सामाजिक जीवन में पं. शुक्ल ने अनेक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए प्रदेश के विकास, शिक्षा और आधारभूत संरचनाओं की स्थापना के लिये महत्वपूर्ण और स्मरणीय कार्य किये। पं. रविशंकर शुक्ल ने 31 दिसम्बर, 1956 में 80 वर्ष की उम्र में नई दिल्ली में अंतिम सांस ली।