भारत में राष्ट्रपति का निर्वाचन एक महत्वपूर्ण और विशेष प्रक्रिया है, जो संविधान द्वारा निर्धारित की गई है। राष्ट्रपति का चुनाव आम जनता द्वारा नहीं, बल्कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा किया जाता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से अप्रत्यक्ष होती है। यहां राष्ट्रपति चुनाव की संपूर्ण जानकारी दी जा रही है:
1. निर्वाचक मंडल (Electoral College):
राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने वाले निर्वाचक मंडल में निम्नलिखित सदस्य शामिल होते हैं:
- लोकसभा सदस्य (Members of the Lok Sabha): लोकसभा के सभी निर्वाचित सदस्य, जिनमें सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टी दोनों के सदस्य होते हैं।
- राज्यसभा सदस्य (Members of the Rajya Sabha): राज्यसभा के सभी निर्वाचित सदस्य, जिनमें राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होते हैं।
- राज्य विधानसभाओं के सदस्य (Members of the Legislative Assemblies of States): सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य, जिनमें विधानसभा के सदस्य शामिल होते हैं।
2. निर्वाचित व्यक्ति (Electoral Vote Weightage):
हर सदस्य का वोट एक निश्चित वजन (value) के अनुसार होता है, जो राज्य की जनसंख्या और विधानसभा के सदस्यों की संख्या पर आधारित होता है।
- राज्य की विधानसभा में कुल सदस्य संख्या के आधार पर प्रत्येक विधायक का वोट वज़न तय होता है।
- लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों का वोट वज़न केंद्र और राज्य के बीच निर्धारित गणना के अनुसार होता है।
उदाहरण के लिए, बड़े राज्यों के विधायकों का वोट वज़न अधिक होता है, जबकि छोटे राज्यों के विधायकों का वोट वज़न कम होता है।
3. वोटिंग की प्रक्रिया:
- राष्ट्रपति का चुनाव गुप्त मतदान (Secret Ballot) द्वारा होता है, जिसमें निर्वाचक मंडल के सदस्य अपने वोट को गुप्त रूप से डालते हैं।
- मतदान तिहरे गुणांक पद्धति (Single transferable vote) के आधार पर होता है, जिसका मतलब यह है कि यदि कोई उम्मीदवार पहले दौर में जीतने में सफल नहीं होता, तो उसे किसी अन्य उम्मीदवार को वोट ट्रांसफर कर दिया जाता है।
4. चुनाव में उम्मीदवार:
- राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने वाले उम्मीदवार को एक नominated candidate होना चाहिए, और उन्हें कुछ समर्थन भी प्राप्त करना होता है, जैसे कि कुछ सदस्य उनकी उम्मीदवारता का समर्थन करें।
- प्रत्येक उम्मीदवार के पास कम से कम 50 सांसदों और 50 विधानसभा के सदस्यों का समर्थन होना चाहिए।
5. वोटों की गिनती और परिणाम:
- राष्ट्रपति चुनाव में वोटों की गिनती के बाद, उम्मीदवार को जीतने के लिए आवश्यक वोटों का आंकड़ा हासिल करना होता है। यह आंकड़ा “वोटों का आधा” (majority of total votes) होता है।
- यदि कोई उम्मीदवार आवश्यक संख्या में वोट नहीं प्राप्त कर पाता है, तो दूसरे दौर में वोटों का पुनर्वितरण किया जाता है।
6. चुनाव में भागीदार:
राष्ट्रपति चुनाव में आमतौर पर प्रमुख पार्टी के उम्मीदवारों के अलावा, कुछ स्वतंत्र उम्मीदवार भी होते हैं, जो विभिन्न कारणों से चुनाव में भाग लेते हैं।
7. अंतिम परिणाम:
- यदि कोई उम्मीदवार संविधान द्वारा निर्धारित आधिकारिक बहुमत (मतों का आधा) प्राप्त कर लेता है, तो वह राष्ट्रपति के रूप में चयनित हो जाता है।
- चुनाव के बाद, चयनित उम्मीदवार को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई जाती है।
निष्कर्ष:
राष्ट्रपति का चुनाव भारत में एक गंभीर और विस्तृत प्रक्रिया है, जो केवल निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा किया जाता है और जिसमें किसी एक व्यक्ति के चयन के लिए विधायकों और सांसदों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।