फर्स्ट वर्ल्ड वॉर (प्रथम विश्व युद्ध) 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक चला और इसके होने के कई प्रमुख कारण थे। इसे “महायुद्ध” भी कहा जाता है। इसके पीछे मुख्य कारण निम्नलिखित थे:
1. सत्ता-संघर्ष और साम्राज्यवाद
- यूरोपीय देशों के बीच अपने साम्राज्य को बढ़ाने और नए उपनिवेश प्राप्त करने की होड़ लगी हुई थी।
- विशेष रूप से जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, और रूस जैसे देश अपने राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे।
2. सैन्यकरण (Militarism)
- देशों ने अपनी सेना और हथियारों को बड़े पैमाने पर बढ़ाना शुरू कर दिया था।
- जर्मनी और ब्रिटेन के बीच नौसेना का बड़ा मुकाबला इस तनाव को और बढ़ाता था।
3. गठबंधन प्रणाली (Alliance System)
- यूरोप में दो मुख्य गुट बने:
- त्रिपक्षीय संधि (Triple Entente): ब्रिटेन, फ्रांस और रूस।
- त्रिगुट संधि (Triple Alliance): जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली।
- इन गठबंधनों के कारण कोई भी संघर्ष बड़ा युद्ध बन सकता था।
4. राष्ट्रवाद (Nationalism)
- यूरोप में राष्ट्रवाद का उभार था। कई छोटे-छोटे राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता और पहचान के लिए संघर्ष कर रहे थे।
- विशेष रूप से बाल्कन क्षेत्र में स्लाविक लोगों की स्वतंत्रता की आकांक्षाओं ने तनाव बढ़ाया।
5. बाल्कन संकट और सरायेवो की घटना
- ऑस्ट्रिया-हंगरी और सर्बिया के बीच तनाव बाल्कन क्षेत्र में अस्थिरता का कारण था।
- 28 जून 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी के राजकुमार आर्चड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की हत्या सरायेवो (सर्बिया) में एक सर्बियाई राष्ट्रवादी गैवरिलो प्रिंसिप द्वारा कर दी गई।
- इस घटना ने ऑस्ट्रिया-हंगरी को सर्बिया के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए प्रेरित किया।
6. डोमिनो प्रभाव
- आर्चड्यूक की हत्या के बाद ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर आक्रमण किया।
- रूस ने सर्बिया का समर्थन किया, जबकि जर्मनी ने ऑस्ट्रिया-हंगरी का।
- फ्रांस, ब्रिटेन, और अन्य देशों ने भी अपने गठबंधनों के अनुसार भाग लिया, जिससे यह क्षेत्रीय संघर्ष विश्व युद्ध में बदल गया।
परिणाम
इस युद्ध में लगभग 70 देशों ने भाग लिया और यह इतिहास के सबसे विनाशकारी युद्धों में से एक साबित हुआ। इसके परिणामस्वरूप लाखों लोग मारे गए और यूरोप की राजनीतिक और आर्थिक संरचना पूरी तरह से बदल गई।