यदि आप ध्यान देंगे तो आपको अधिकतर प्लेन्स आपको सफेद रंग के ही नजर आएंगे. हालांकि, कभी-कभी कुछ प्लेन्स दूसरे रंगों के भी दिख जाते हैं, मगर आमतौर पर हवाईज हाजों का रंग सफेद ही होता है. क्या आपको इसका कारण पता है?
सफेद रंग के ही क्यों होते हैं प्लेन?
आपने कई कारों में धूप में पार्क हुए देखा होगा. जब आप घंटों से धूप में खड़ी कार के अंदर घुसते होंगे, तो गर्मी से आपको बहुत परेशानी होती होगी और गर्मी भी बहुत ज्यादा लगती होगी. उसके बाद आपको अंदर एसी चालू करना पड़ता होगा, तब जाकर कार नॉर्मल होती होगी.
इसी तरह प्लेन पर भी असर पड़ता है. धूप में रहने पर प्लेन गर्म हो जाता है, जिससे उसकी एलुमिनियम बॉडी डैमेज हो सकती है और गर्मी से लोगों का अंदर बैठना मुश्किल हो सकता है. आपतो जानते ही होंगे कि जितना गहरा रंग होगा, वो उतना ज्यादा गर्मी सोखेगा. सफेद रंग धूप को ज्यादा रिफ्लेक्ट करता है. इसी वजह से गर्मी के दिनों में इंसान भी हल्के रंगों के कपड़े पहनते हैं, जिससे उन्हें कम गर्मी लगे.
रिपोर्ट के अनुसार शुरुआती वक्त में प्लेन सफेद नहीं हुआ करते थे. तब कई प्लेन्स की एलुमिनियम बॉडी दिखाई जाती थी. पर 1970 के दशक में ट्रेंड बदलने लगा. सबसे पहले 1976 में एयर फ्रांस ने सफेद पेंट वाले प्लेन्स को पेश किया और उनकी नकल कर अन्य विमान कंपनियों ने भी प्लेन को सफेद करना शुरू कर दिया. विज्ञान के हिसाब से ये जरूरी नहीं है कि प्लेन को सफेद ही रखा जाए. हालांकि, प्लेन के डिजाइनर्स बताते हैं कि एयरोडायनैमिक फ्रिक्शन और प्लेन पर सूर्य के असर की वजह से काफी गर्मी पैदा हो जाती है, जिससे प्लेन पर बुरा असर पड़ता है. इस वजह से सफेद रंग रखना ही बेहतर माना जाता है.