कस्तूरी मृग
- वैज्ञानिक नाम: कस्तूरी मृग का वैज्ञानिक नाम Moschus है। यह मुख्यतः हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है।
- विशेषता: कस्तूरी मृग की नाभि में एक खास ग्रंथि होती है, जो “मस्क” नामक सुगंधित पदार्थ का उत्पादन करती है।
मस्क:
- स्रोत: मस्क एक प्राकृतिक सुगंध है, जो कस्तूरी मृग की नाभि में स्थित थैली से प्राप्त होती है।
- स्वाद और सुगंध: यह एक गाढ़ी, घनी और पृथ्वी जैसी सुगंध होती है, जो लंबे समय तक बनी रहती है।
- उपयोग: मस्क का उपयोग परफ्यूम, कोलोन, साबुन और अन्य सुगंधित उत्पादों में किया जाता है। यह दुनिया के सबसे महंगे और कीमती सुगंधित पदार्थों में से एक माना जाता है।
कीमत:
- कस्तूरी का एक ग्राम लगभग 30,000 रुपये तक बिक सकता है। इसकी उच्च कीमत इसके दुर्लभता और उत्पादन प्रक्रिया के कारण है।
महत्व:
- कला और संस्कृति: कस्तूरी की सुगंध भारतीय और मध्य पूर्वी संस्कृति में प्राचीन काल से महत्वपूर्ण रही है। इसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों, समारोहों और पारंपरिक चिकित्सा में भी किया जाता है।
- आर्थिक मूल्य: कस्तूरी का मूल्य बहुत अधिक है, और यह कई देशों में एक प्रमुख व्यापारिक उत्पाद के रूप में प्रसिद्ध है। इसकी कीमत कई हजार रुपये प्रति ग्राम तक पहुंच सकती है।
संरक्षण:
- संरक्षण की स्थिति: कस्तूरी मृग की संख्या में कमी आई है और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल है। इसे बचाने के लिए कई देशों में कस्तूरी का व्यापार प्रतिबंधित किया गया है।
- वैकल्पिक स्रोत: हाल के वर्षों में, वैज्ञानिकों ने कृत्रिम रूप से मस्क बनाने के प्रयास किए हैं ताकि कस्तूरी मृग की शिकार और उसके प्राकृतिक आवास पर दबाव को कम किया जा सके।
निष्कर्ष:
कस्तूरी और कस्तूरी मृग दोनों ही प्राकृतिक सौंदर्य और सुगंध के अद्भुत स्रोत हैं। इनके संरक्षण और सतत उपयोग से हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित कर सकते हैं, साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का भी ध्यान रख सकते हैं।