होश उड़ा देने वाला यह वीडियो इंस्टाग्राम पर नाम के अकाउंट से अनुज चौहान नाम के एक यूजर ने शेयर किया है, जिसे अब तक 55 हजार से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं.
इंटरनेट पर इन दिनों एक ऐसा वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसने नेटिजन्स का दिमाग चकरा दिया है. इस वीडियो में एक शख्स एक पेड़ के फल के सामने जैसे ही माचिस की तीली ले जाता है, वो अपने आप जल उठती है. जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा है, माचिस की तीली बिना कुछ किए ही आग पकड़ लेती है.
वायरल हो रहे इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि एक शख्स ने एक हाथ में पानी से भरा गिलास पकड़ा है और दूसरे हाथ में एक माचिस की तीली है. अगले ही पल वह तीली को पेड़ के सफेद फल के पास ले जाता है और फटाक से चरचराहट की आवाज के साथ तीली जल उठती है. यकीन मानिए, यह दृश्य वाकई में चौंकाने वाला है. इसे देखकर आपकी भी आंखें फटी की फटी रह जाएंगी.
लेकिन यह दिलचस्प क्लिप यहीं खत्म नहीं होती. इसके बाद आप देखेंगे कि शख्स उस ‘चमत्कारी’ फल को तोड़कर पानी से भरे गिलास में डाल देता है, और फिर जो कुछ भी होता है, वो और भी चौंकाने वाला है. वीडियो में आप देखेंगे कि फल पानी के भीतर से भी अपना असर दिखाता है, और माचिस की तीली बाहर से ही उसके पास ले जाने पर फिर से अपने आप जल उठती है.
होश उड़ा देने वाला यह वीडियो इंस्टाग्राम पर @anuj_chauhan_284 नाम के अकाउंट से अनुज चौहान नाम के एक यूजर ने शेयर किया है, जिसे अब तक 55 हजार से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं. वहीं, कमेंट सेक्शन में नेटिजन्स हैरान होकर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. आगे जानिए कि इस पेड़ के बारे में.
यहां देखिए वीडियो, फल ने माचिस की तीली में लगाई आग!
आखिर कौन-सा फल है ये?
बता दें कि वीडियो में दिख रहा ये अनोखा फल ‘सफेद भिलावा’ है, जिसे वैज्ञानिक रूप से ‘सेमेकार्पस एनाकार्डियम’ (Semecarpus Anacardium) के नाम से जाना जाता है. यह पेड़ भारत और आसपास के इलाकों में खूब पाया जाता है और इसे भिलावा, बिभा, जीड़ी या गिंजालू जैसे नामों से भी जाना जाता है
क्यों जल उठती है माचिस की तीली?
जानकारी के अनुसार, ये बीज बहुत तैलीय होते हैं और इसी वजह से ये बेहद ज्वलनशील हो सकते हैं, जिससे माचिस की तीलियां इनके संपर्क में आते ही जल उठती हैं. इस फल का इस्तेमाल पारंपरिक भारतीय चिकित्सा (आयुर्वेद) में भी लंबे समय से किया जाता रहा है. इस पेड़ को ‘मार्किंग नट ट्री’ भी कहते हैं, क्योंकि कहा जाता है कि पुराने समय में इसका इस्तेमाल कपड़ों पर निशान लगाने के लिए किया जाता था.


