आज के दिन श्री राम मंदिर में ध्वज फहराया जाएगा। 25 नवंबर को विवाह पंचमी है। इस साल विवाह पंचमी के पावन अवसर को और भी भव्य और एतिहासिक बनाने के लिए अयोध्या में श्री राम मंदिर के शिखर पर आज ध्वज लहराया जाएगा।
पुराणों के मुताबिक, आज के दिन ही त्रेतायुग में मां जानकी और श्री राम जी का विवाह हुआ था। आज वैदिक मंत्रोच्चार के बीच ध्वज फहराने का अनुष्ठान संपन्न किया जाएगा।
ऐसे में आइए जानते हैं कि मंदिर पर ध्वज क्यों लगाया जाता है, नियम और महत्व-
मंदिर में ध्वज लगाने के नियम
मंदिर में ध्वज लगाते समय वास्तु और दिशा का खास ध्यान रखना चाहिए।
मंदिर में ध्वज को दाई दिशा में लगाना चाहिए।
ध्वज फहराने वाला व्यक्ति शुद्ध और पवित्र होना चाहिए। इसलिए स्नान और साफ वस्त्र धारण कर भगवान का ध्यान करने के बाद ही ध्वज फहराना चाहिए।
ध्वज को हमेशा सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के बाद लगाया जाता है।
ज्यादातर ध्वज को सुबह में शुभ मुहूर्त के समय ही बदला जाता है। रात्रि का समय ध्वज लगाने या बदलने के लिए उत्तम नहीं माना जाता है।
मंदिर पर लगने वाले ध्वज पर मंदिर के इष्ट देव से संबंधित प्रतीक होना चाहिए।
मंदिर में सबसे ऊंचे स्थान पर ही ध्वज लगाया जाता है। इसलिए ध्वज मंदिर के शिखर पर लगाया जाता है।
क्यों लगाया जाता है मंदिर पर ध्वज, जानें महत्व
मंदिर के शिखर पर ध्वज का लहराना सकारात्मक ऊर्जा का संकेत माना जाता है।
हिंदू धर्म में ध्वज को रक्षा का कवच भी माना जाता है। यही नहीं ये भगवान की शक्ति का भी प्रतीक चिन्ह है।
ध्वज पर मंत्रों का भी प्रभाव होता है। ऐसे में ध्वज के माध्यम से हवा के साथ पॉजिटिव एनर्जी चारों दिशाओं में फैल जाती है।
नोट : इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।


