रानी दहेरा मंदिर छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में स्थित एक प्राचीन मंदिर है, जो भोरमदेव मंदिर परिसर के अंतर्गत आता है। यह मंदिर नागर शैली की वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है और इसे ‘छत्तीसगढ़ का खजुराहो’ भी कहा जाता है। मंदिर की दीवारों पर उत्कृष्ट मूर्तिकला और शिल्पकला के उदाहरण मिलते हैं, जो 11वीं से 12वीं शताब्दी के बीच के माने जाते हैं।
मुख्य आकर्षण:
- वास्तुकला: मंदिर की संरचना नागर शैली में बनी है, जिसमें शिखर, गर्भगृह, मंडप और जगती शामिल हैं। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं, अप्सराओं, मिथुन मूर्तियों और विभिन्न पौराणिक कथाओं के दृश्य उकेरे गए हैं।
- मूर्तिकला: मंदिर की मूर्तिकला में उस समय की सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन की झलक मिलती है। यहां की मूर्तियां जीवंतता और कलात्मकता का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
कैसे पहुंचें:
- सड़क मार्ग: रायपुर से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रायपुर से कवर्धा (अब कबीरधाम) तक बस या टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है, जो लगभग 120 किलोमीटर है। कवर्धा से भोरमदेव मंदिर परिसर की दूरी लगभग 18 किलोमीटर है, जहां रानी दहेरा मंदिर स्थित है।
- रेल मार्ग: सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन रायपुर है, जो देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। वहां से सड़क मार्ग द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
- वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा, रायपुर है, जो लगभग 130 किलोमीटर दूर है। वहां से सड़क मार्ग द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
रानी दहेरा मंदिर इतिहास, कला और संस्कृति में रुचि रखने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है, जहां छत्तीसगढ़ की समृद्ध विरासत की झलक मिलती है।