हाल ही में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति काफी खराब हो रही है. आदित्य बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट की एमपावर संस्था ने Unveiling the Silent Struggle नाम की रिपोर्ट जारी की. यह रिपोर्ट देशभर की 13 लाख महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य आंकड़ों पर आधारित है
आज के समय में खराब मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ी समस्या बन गया है. महिलाएं भी इसका शिकार हो रही हैं.राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, भारत में आत्महत्या करने वालों में 36.6% महिलाएं हैं, जिनमें 18-39 वर्ष की युवतियां सबसे अधिक हैं. इसके बावजूद, समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर फैले डर और कलंक के कारण महिलाएं इलाज कराने से बच रही हैं. एमपॉवर के सर्वे में खुलासा हुआ कि महिलाएं मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर खुलकर बात करने से डरती हैं ताकि करियर पर असर न पड़े. इसके अलावा यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और वर्क-लाइफ बैलेंस के कारण भी महिलाओं की मानसिक सेहत बिगड़ रही है.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आदित्य बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट की एमपावर संस्था ने Unveiling the Silent Struggle नाम की रिपोर्ट जारी की. यह रिपोर्ट देशभर की 13 लाख महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य आंकड़ों पर आधारित है. इसमें कॉलेज छात्राओं, कॉरपोरेट प्रोफेशनल्स, ग्रामीण महिलाओं और सेना में कार्यरत महिलाओं की मानसिक चुनौतियों के बारे में बताया गया है. महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य खराब होने के कई कारण हैं.
- 50% महिलाएं वर्क-लाइफ बैलेंस, आर्थिक दबाव और सामाजिक अपेक्षाओं से तनाव में हैं. 47% महिलाओं को नींद न आने की समस्या है, खासकर 18-35 आयु वर्ग की महिलाएं नींद की समस्या से जूझ रही हैं. 41% महिलाएं भावनात्मक रूप से अकेलापन महसूस करती हैं. 38% छात्राएं और कामकाजी महिलाएं करियर ग्रोथ और वित्तीय स्थिरता को लेकर चिंतित रहती हैं.
कॉरपोरेट जगत में कामकाजी महिलाएं
42% महिलाओं में डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षण पाए गए., 80% महिलाएं मातृत्व अवकाश और करियर ग्रोथ में भेदभाव झेलती हैं. 90% महिलाओं का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का उनके कार्य प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ता है. - ग्रामीण महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य
महाराष्ट्र सरकार के साथ प्रोजेक्ट संवेदना के तहत 12.8 लाख ग्रामीण महिलाओं पर किए गए सर्वे में सामने आया कि वित्तीय अस्थिरता, सामाजिक कलंक और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण वे गंभीर अवसाद और चिंता से जूझ रही हैं. - 18-35 वर्ष की उम्र की लड़कियों की मानसिक स्वास्थ्य प्रवृत्तियां कुछ इस तरह से हैं.
- मुंबई- एकेडमिक स्ट्रेस और कॉरपोरेट बर्नआउट सबसे अधिक है. दिल्ली- सुरक्षा चिंताओं और उत्पीड़न के कारण PTSD और एंग्जायटी की समस्या अधिक है. कोलकाता- मजबूत सामाजिक नेटवर्क के बावजूद मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं से महिलाएं कोसो दूर हैं.
- दवाओं से ठीक हो सकती है ये बीमारी
- एमपॉवर सेंटर के दिल्ली प्रमुख और मनोचिकित्सक डॉ. अंकित गौतम ने कहा कि अक्सर महिलाओं को अवसाद, चिंता, अनिद्रा, व्यक्तित्व विकार, संबंधों की चुनौतियां और वैवाहिक असहमति एक गंभीर चुनौती है. डॉ. गौतम ने आगे कहा कि मनोचिकित्सीय विकारों को दवाओं, मनोचिकित्सा या दोनों के संयोजन से प्रभावी ढंग से कंट्रोल किया जा सकता है, यह व्यक्ति की आवश्यकताओं पर निर्भर करता है. तनाव मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के सबसे आम ट्रिगर्स में से एक है.
- अच्छी नींद और योग का भी अहम रोल
- हर सेक्टर में काम करने वाली महिलाएं आज तनाव का शिकार हो रही हैं. यह मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है. महिलाओं को योग, नियमित शारीरिक गतिविधि, ध्यान, संतुलित आहार, गुणवत्तापूर्ण नींद और मजबूत सामाजिक समर्थन की जरूरत है. इसके अलावा जो महिलाएं तनाव, डिप्रेशन, एंग्जाइटी की समस्या से जूझ रही हैं. उन्हें समय-समय पर मनोचिकित्सक से सलाह लेने की आवश्यकता है.