पेशावर, 5 मार्च: पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में मंगलवार शाम एक सैन्य अड्डे पर आतंकियों ने आत्मघाती हमला किया, जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए। हमले के दौरान विस्फोट इतना भीषण था कि आसपास की इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं और एक मस्जिद की छत गिर गई।
कैसे हुआ हमला?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दो आत्मघाती हमलावरों ने पहले बन्नू छावनी की दीवार को विस्फोटकों से उड़ाया, जिससे अन्य हमलावर अंदर घुसने में सफल रहे। इसके बाद सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए। हमले के समय लोग इफ्तार के बाद रमजान की नमाज के लिए मस्जिद में मौजूद थे।
कौन था हमले के पीछे?
सूत्रों के अनुसार, इस हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन जैश उल फुरसान पर डाली जा रही है, जिसने हाल ही में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से गठबंधन किया है। आतंकियों ने दो आत्मघाती कार बम (SVBIED) का इस्तेमाल कर सुरक्षा बलों का ध्यान भटकाया और फिर पाँच से छह आतंकवादियों ने समन्वित हमला किया।
मासूमों की मौत और अस्पताल में इमरजेंसी
बन्नू जिला अस्पताल के प्रवक्ता मुहम्मद नोमान ने बताया कि विस्फोट के कारण आसपास के घरों की छतें और दीवारें गिर गईं, जिससे कई लोग मलबे में दब गए। अस्पताल के निदेशक डॉ. अहमद फ़राज़ खान ने पुष्टि की कि अब तक 42 लोग घायल अवस्था में लाए गए, जिनमें 12 की मौत हो गई और कई की हालत गंभीर बनी हुई है। अस्पताल में मेडिकल इमरजेंसी लागू कर दी गई है और सभी डॉक्टरों व सर्जनों को तुरंत ड्यूटी पर बुलाया गया है।
प्रभाव और सरकारी प्रतिक्रिया
इस हमले के कारण बन्नू छावनी और आसपास के इलाकों में दहशत का माहौल है। सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में देखा जा सकता है कि विस्फोट के बाद आसमान में गहरा धुआं छा गया और गोलियों की आवाज़ गूंजने लगी।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। वहीं, खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने जांच के आदेश दिए हैं और सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की बात कही है।
पिछले हमले और बढ़ता आतंकवाद
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। इससे पहले 28 फरवरी को खैबर पख्तूनख्वा में एक मदरसे पर आत्मघाती हमला हुआ था, जिसमें प्रसिद्ध तालिबान समर्थक मौलवी हमीदुल हक हक्कानी समेत चार लोगों की मौत हुई थी।
निष्कर्ष
पाकिस्तान में खासकर खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में बढ़ते आतंकवादी हमले राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बने हुए हैं। लगातार हो रहे इन हमलों से यह स्पष्ट है कि सुरक्षा बलों को नई रणनीति अपनाने की जरूरत है, ताकि आतंकवादियों के मंसूबों को नाकाम किया जा सके।