मणिपुर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार (9 फरवरी) को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया। जातीय हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर में बीरेन सिंह का इस्तीफा कई सवाल खड़े कर रहा है। विपक्ष के बढ़ते दबाव, भाजपा में आंतरिक कलह और हिंसा को रोकने में नाकामी जैसी तमाम वजहें इस इस्तीफे के पीछे मानी जा रही हैं। आइए जानते हैं कि आखिर किन वजहों से बीरेन सिंह को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी।
बीजेपी विधायकों की नाराजगी बनी बड़ी वजह
बीरेन सिंह के इस्तीफे से पहले भाजपा में असंतोष की खबरें सामने आ रही थीं। कई भाजपा विधायकों ने केंद्रीय नेतृत्व से अपनी नाराजगी जताई थी। हालात इतने बिगड़ गए कि मणिपुर के भाजपा विधायकों ने विपक्ष में बैठने तक की चेतावनी दे दी थी।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व को यह डर था कि अगर बीरेन सिंह मुख्यमंत्री बने रहते, तो पार्टी की साख पर असर पड़ सकता था। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व ने आखिरकार उन्हें इस्तीफा देने का निर्देश दिया।
आगे पढ़ेअविश्वास प्रस्ताव की तैयारी में थी कांग्रेस
कांग्रेस पहले से ही बीरेन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बना रही थी। 2 फरवरी को मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष केशम मेघचंद्र ने सोशल मीडिया पर घोषणा की थी कि कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है।
इस बीच, भाजपा के अंदरूनी विरोध के चलते करीब 10 विधायक भी मुख्यमंत्री के खिलाफ हो गए थे। इससे पहले कि विधानसभा सत्र शुरू होता, बीरेन सिंह ने इस्तीफा देकर नया राजनीतिक मोड़ दे दिया।
जातीय हिंसा रोकने में असफल रही सरकार
मई 2023 से मणिपुर में कुकी और मेइती समुदायों के बीच हिंसा जारी थी। राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ती जा रही थी और भाजपा सरकार इसे काबू करने में नाकाम साबित हो रही थी।
इस हिंसा के कारण सात कुकी विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके अलावा, नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) ने भी नवंबर 2023 में भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इन घटनाओं ने बीरेन सिंह की सरकार को कमजोर कर दिया था।
पहले इस्तीफा देने को तैयार नहीं थे बीरेन सिंह
सूत्रों के मुताबिक, बीरेन सिंह शुरुआत में इस्तीफा देने के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन जैसे ही भाजपा के असंतुष्ट विधायकों की संख्या बढ़ी और केंद्रीय नेतृत्व ने हस्तक्षेप किया, उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया।
बीरेन सिंह ने इस्तीफे से एक दिन पहले दिल्ली जाने की योजना बनाई थी, लेकिन अचानक यात्रा में बदलाव करते हुए वे सीधे नई दिल्ली पहुंच गए। वहां उन्होंने भाजपा नेताओं से मुलाकात की, हालांकि, गृह मंत्री अमित शाह से मिलने में असफल रहे। इसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
भाजपा नेतृत्व और आरएसएस की भूमिका
भाजपा नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी मुख्यमंत्री बदलने के फैसले का समर्थन किया। आरएसएस ने नशा माफिया के खिलाफ बीरेन सिंह की कार्रवाई का समर्थन किया था, लेकिन राज्य में बढ़ती हिंसा को देखते हुए नेतृत्व परिवर्तन की सिफारिश की थी।
कांग्रेस का भाजपा पर हमला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीरेन सिंह के इस्तीफे को लेकर भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह फैसला बहुत देर से आया और इसे “घोड़ा भाग जाने के बाद अस्तबल बंद करने” जैसा करार दिया। खड़गे ने कहा कि मणिपुर में 21 महीनों से हिंसा जारी है और भाजपा सरकार इसे रोकने में पूरी तरह विफल रही।
मणिपुर का अगला मुख्यमंत्री कौन?
बीरेन सिंह का इस्तीफा राज्यपाल अजय भल्ला ने स्वीकार कर लिया है, लेकिन नए मुख्यमंत्री की घोषणा अब तक नहीं हुई है। संभावित दावेदारों में टी सत्यब्रत सिंह और वाई खेचंद्र प्रमुख नामों में शामिल हैं।
अब सवाल यह है कि भाजपा मणिपुर में स्थिर सरकार कैसे बनाएगी और जातीय हिंसा को काबू करने के लिए क्या कदम उठाएगी। आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति में और हलचल देखने को मिल सकती है।
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