उन्होंने गुरूवार को सुरक्षा परिषद की बैठक में सदस्य देशों को सम्बोधित करते हुए बताया कि हिंसा व पीड़ा के चक्र में फँसे सीरियाई नागरिकों की संख्या बढ़ रही है.
पिछले एक दशक से अधिक समय से गृहयुद्ध से जूझ रहे सीरिया में, लाखों लोग देश की सीमाओं के भीतर और अन्य देशों में विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए हैं.
विदेशी सेनाओं, हथियारबन्द गुटों और सूचीबद्ध आतंकी समूहों की सक्रियता की वजह से आम नागरिक जटिल हालात में जीवन गुज़ार रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार, एक लाख से अधिक लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया है या फिर वे लापता हैं.
सीरिया में इसराइली हवाई हमले भी बढ़े हैं और बुधवार को पलमीरा के पास एक हमले में अनेक लोगों की जान गई है, जोकि अब तक का सबसे घातक इसराइली हमला माना जा रहा है.
इसराइल ने ईरान, हिज़बुल्लाह या फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद को निशाना बनाए जाने की बात कही है, मगर यूएन दूत नजत रोश्दी के अनुसार इन्हें दमिश्क के रिहायशी इलाक़ों में अंजाम दिया गया, जिससे नागरिक प्रतिष्ठान भी इनकी चपेट में आए हैं.
गहराती अनिश्चितता
लाखों लोग लेबनान में हिंसा के कारण जान बचाकर भाग रहे हैं, जिससे विस्थापन व मानव पीड़ा का संकट और गहरा रहा है, जबकि ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने के लिए साधनों की क़िल्लत है.
अमेरिका ने भी तथाकथित ईरान-समर्थित गुटों को निशाना बनाया है. पूर्वोत्तर सीरिया में अपने सैन्य ठिकानों पर ड्रोन हमले झेलने के जवाब में यह कार्रवाई की गई है.
उन्होंने ग़ाज़ा पट्टी व लेबनान में युद्धविराम लागू किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2254 के अनुरूप, एक राष्ट्रव्यापी युद्धविराम के लिए प्रयास किए जाने होंगे.
“सुरक्षा परिषद द्वारा सूचीबद्ध आतंकवादी गुटों से मुक़ाबले के लिए एक सहयोगपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाया जाना होगा.” हज़ारों लोग या तो लापता है या फिर उन्हें हिरासत में लिया गया है. अर्थव्यवस्था दरक चुकी है, बुनियादी ढाँचा बर्बाद हो गया है.
पिछले कुछ हफ़्तों में, लेबनान में जारी लड़ाई के कारण पाँच लाख लोगों ने सीरिया में शरण ली है, जिनमें दो-तिहाई से अधिक सीरियाई नागरिक व क़रीब 50 फ़ीसदी बच्चे हैं. उनके शरण लेने से पहले भी, देश में 1.67 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता थी.
संगठित अपराध व ग़ैरक़ानूनी गतिविधियाँ उभार पर हैं, जिसके समाज पर नकारात्मक असर होने और अस्थिरता बढ़ने की आशंका है.
बदतरीन मानवीय हालात
मानवीय सहायता मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) में निदेशक ऐडम वोसूर्नू ने अपनी सीमाओं को खुला रखने के लिए सीरियाई सरकार की सराहना की, मगर सचेत किया कि सीमा पर हवाई हमले जारी हैं, जिससे ख़तरा बढ़ रहा है.
उन्होंने कहा कि बिगड़ते हालात के बीच, यूएन एजेंसियाँ वित्तीय संसाधानों की क़िल्लत के बावजूद मानवीय सहायता प्रयासों को मज़बूती देने में जुटी हैं, मगर सहायता रक़म का अभाव लम्बे समय तक जारी नहीं रह सकता है.
उन्होंने कहा कि सीरिया के पूर्वोत्तर क्षेत्र में सुविधाओं के अभाव और रहन-सहन की ख़राब परिस्थितियों के कारण कुछ लेबनानी परिवारों वापिस लौटने का फ़ैसला लिया है. अल-होल कैम्प में भारी भीड़ है और हैज़ा के 270 से अधिक मामले उभरने का सन्देह है.
संवैधानिक वार्ता पर बल
विशेष उप दूत रोश्दी ने कहा कि मध्य पूर्व क्षेत्र एक गहरी अनिश्चितता व ख़तरे से गुज़र रहा है. मगर, मौजूदा चुनौतियों के बावजूद, सीरियाई नागरिकों की जायज़ आकाँक्षाओं को पूरा करने के रास्ते पर आगे बढ़ने, और देश की सम्प्रभुता, एकता व क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए यह सही समय है.
उनके अनुसार, 14 वर्षों से जारी हिंसक टकराव के बाद, मौजूदा चुनौतियों पर पार पाने के लिए कोई आसान उपाय नहीं है, और इसके लिए ठोस राजनैतिक प्रक्रिया की आवश्यकता होगी.
विशेष उप दूत ने सीरिया के लिए संवैधानिक समिति की बैठकों को फिर से शुरू करने का सुझाव दिया और कहा कि आगामी दिनों में सीरियाई सरकार और विपक्षी धड़े के साथ विचार-विमर्श के लिए वह उत्सुक हैं.
साथ ही, क़दम-दर-क़दम भरोसा बढ़ाने वाले उपाय अपनाने होंगे, और सीरिया के नागरिक समाज को एक साथ लेकर चलना होगा.