छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगणों श्रीमती सरला कोसरिया, श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, श्रीमती प्रियवंदा सिंह जुदेव, श्रीमती ओजस्वी मंडावी, एवं सुश्री दीपिका सोरी ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 287 वी. सुनवाई हुई। रायपुर जिले में कुल 138 वी. जनसुनवाई ।
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक पामगढ़ में पटवारी के पद पर कार्यरत है, पूर्व में वह निलंबित था अभी बहाल हुआ है। इसके पूर्व वह भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित था। दोनो पक्षों को सुने जाने पर पता चला की 20 वर्ष की नौकरी में अनावेदक ने आवेदिका का नाम सर्विस बुक में दर्ज नहीं कराया है। अनावेदक ने आयोग के सामने यह स्वीकार किया है कि वह अपने सर्विस बुक में अन्य महिला को अपनी पत्नि बताता है। (वह पटवारी के पद पर वर्तमान में कोरबा में कार्यरत है) उस महिला ने भी अपने सर्विस बुक में अनावेदक का नाम पति के रूप में दर्ज कराया है। अनावेदक ने यह भी बताया है उनकी शादी नही हुआ है। जिम्मेदार सरकारी सेवक होने के बाद भी अनावेदक का उपरोक्त कथन उसकी नियत और लापरवाही को दर्शाता है। आवेदिका ने बताया कि दोनो का प्रकरण न्यायालय में समझौता कर पुनः अपने साथ ले गया था। अनावेदक ने दूसरी महिला से 2021 में विवाह किया और आवेदिका से तलाक नही लिया।
आयोग द्वारा समझाईश देने के बाद अनावेदक ने स्वीकार किया कि वह 1 माह के अंदर आवेदिका का नाम सर्विस बुक में दर्ज करायेगा। चूंकि दोनो पक्षों के मध्य विभिन्न न्यायालय में पूर्व में प्रकरण दर्ज हो चुके है ऐसी दशा में कोई बात नहीं आती है की ऐसी स्थिति में अनावेदक आवेदिका का नाम दर्ज करायेगा। आयोग अध्यक्ष एवं सभी सदस्यों की एक प्रकार मंशा है कि राजस्व को अनावेदक की नौकरी खत्म करने की अनुशंसा पत्र भेजा जायेगा। अनावेदक को शासकीय सेवा में बने रहने का कोई औचित्य नही है। पटवारी ने तीन विवाह किया और अपने पद का दुरूपयोग करने कीवजह से आयोग ने पटवारी पद से सेवा समाप्त करने का कलेक्टर व राजस्व मंडल को अनुशंसा करेगी।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक वर्तमान में 5 साल से शिक्षक के पद पर कार्यरत है और आवेदिका का 12 साल से यौन शोषण कर रहा है जिसे अनावेदक ने अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार किया है और कहता है कि मेरे परिवार वाले सहमति देंगे तो विवाह करूंगा। अनावेदक पेशे से शिक्षक होने के बाद भारतीय सस्कृति की उपेक्षा कर विदेशी संस्कृति का बढ़ावा देकर आवेदिका को बरगलाकर शादी का झांसा देता रहा। ऐसी स्थिति में आवेदिका को निर्देशित किया गया कि अनावेदक के विरूद्ध एफ. आईआर दर्ज करवाये व उसकी प्रति आयोग में प्रस्तुत करें। आयोग के सभी सदस्यों ने सहमति दी की इस प्रकरण में यदि अनावेदक आवेदिका को उसके शारीरिक शोषण के एवज में एकमुश्त मुआवजा देता है तो उसके खिलाफ उसकी सेवा समाप्ति की अनुशंसा रोक दिया जाय। इस पर अनावेदक ने स्वयं प्रस्ताव दिया कि वह 2 माह के अंदर 20 लाख रूपये का मुआवजा आवेदिका को देगा। यदि वह 2 माह के अंदर नही देता तो आयोग की ओर से डी.ई.ओ. गरियाबंद व प्रमुख सचिव शिक्षा विभाग को अनावेदक की सेवा समाप्ति की अनुशंसा का पत्र भेजा जायेगा व कलेक्टर गरियाबंद के माध्यम से शिक्षा विभाग केन्द्र सरकार को भेजी जायेगी। अगली सुनवाई मे अनावेदक 10 लाख का चेक व 10 लाख रूपये नगद लेकर उपस्थित रहने के निर्देश दिया गया ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके।
अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया की आवेदिका (बहु) का चारित्रिक दोष होने के बाद वह अलग रह रही थी और जेल भेजने की धमकी देती है। विगत चार माह से जबरदस्ती घर में रही है। आवेदिका 62 साल की बुजुर्ग महिला है। अनावेदिका के पास रहने का कोई स्थान नही है और उसके मायके वाले भी उसे नही रख रहे है इस स्तर पर सुरक्षा की दृष्टि से अनावेदिका को नारी निकेतन भेजे जाने का निर्देश आयोग द्वारा दिया गया। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक उसके साथ 12 साल से बिना विवाह किये रह रहा था। पुलिस कार्यवाही से बचने के लिए जुलाई 2024 में बच्ची के जन्म के बाद आवेदिका से विवाह किया था, अनावेदक केन्द्रीय जेल बिलासपुर में शासकीय कर्मी है तथा अन्य महिला से दूसरा विवाह कर रहा है। अनावेदिका (दूसरी महिला) को सुधरने का मौका देकर व सुरक्षा के दृष्टि से 2 माह के लिए नारी निकेतन भेजे जाने का आदेश आयोग द्वारा दिया गया। अनावेदक आवेदिका को किसी भी शर्त में रखने को तैयार नही है लगातार उसका शारीरिक शोषण कर उससे विवाह किया है और अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है तथा अपनी शासकीय सेवा का दुरूपयोग करते हुए दो-दो महिलाओं का जीवन खतरे में डाल चुका है।अनावेदक को शासकीय सेवा के पद पर रहने की अधिकारीता नहीं है। अनावेदक की शासकीय सेवा समाप्त करने के लिए जेल-बिलासपुर व गृह मंत्री बिलासपुर को पत्र भेजा जाने के निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
अन्य प्रकरण में आवेदिका को उसके सरपंच कार्यकाल में हुये 12 लाख के कार्य का भूगतान के लिये सरपंच ने और वर्ष 2024 के कार्य का अभी तक भूगतान नहीं किया गया है। 29/09/2024 को आयोग में प्रकरण लगाया गया था पर अभी तक भूगतान नहीं किया गया है। माननीय जस्टिस ने आदेश दिया था 3 माह के अंदर बिल का भूगतान कर निराकरण किया जाये। उक्त आदेश 10/07/2024 को दिया गया था जिसके चार माह बितने के बाद भी अब तक आवेदिका को कोई भी भूगतान नहीं किया गया है। चूंकि मामला माननीय हाईकोर्ट में लम्बित है इस वजह से आयोग में प्रकरण सुना जाना अनुचित होने की वजह से प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।