झारखंड की राजधानी रांची से 35 KM दूर रांची-टाटा रोड पर बुंडू के समीप सूर्य मंदिर स्थित है. संगमरमर से निर्मित इस मंदिर का निर्माण 18 पहियों और 7 घोड़ों के रथ पर विद्यमान भगवान सूर्य के रूप में किया गया है. इस मंदिर की खूबसूरती देखते बनती है. बताया जाता है कि मंदिर का संबंध त्रेता युग से भी है. यहां श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण के साथ स्वयं आए थे.
यहां पर पूजा करने लोग देश के कोने-कोने से आते हैं. नेपाल तक से लोग आते हैं, क्योंकि यहां पर सिर टेकने भर से ही आपकी सारी मन्नत पूरी हो जाती है. यहां पर भगवान श्रीराम भी सूर्य भगवान की उपासना कर चुके हैं. यही कारण है कि श्रद्धालुओं की यहां पर असीम आस्था है. खासकर छठ पूजा के दौरान तो यहां भक्तों की अपार भीड़ देखने को मिलती है.
वनवास के दौरान आए थे श्रीराम
इस प्राचीन मंदिर में भगवान सूर्य के साथ माता पार्वती, महादेव और गणेश जी भी मौजूद हैं. सालों पुराने इस मंदिर का जुड़ाव त्रेता युग से है, यहां भगवान राम ने सूर्य देव की आराधना की थी. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ बुंडू आए थे. इस दौरान यहां प्रभु श्रीराम ने सूर्य देव की आराधना की थी.
श्रीराम के कुल देवता का मंदिर
सूर्य देव भगवान श्रीराम के कुल देवता थे. इसी कारण बुंडू में सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया गया. इसके अलावा यहां पर खासतौर पर छठ के मौके पर गजब का नजारा देखने को मिलता है. छठ के मौके पर लाखों की तादाद में श्रद्धालु यहां पूजा करने आते हैं और खासकर संतान को लेकर मन्नत मांगते हैं.
पवित्र कुंड का महत्व
यहां पर छठ के मौके पर लाखों श्रद्धालु आराधना करने आते हैं. बगल में ही एक सूर्यकुंड भी है. इस कुंड में सूर्य भगवान को अर्घ्य देते हैं. कहा जाता है इसी कुंड में श्रीराम ने भी सूर्य को अर्घ्य दिया था. ऐसे में इस कुंड को काफी पवित्र माना जाता है. इस कुंड के पानी को लोग गंगा जल के समान मानते हैं और यहां पर अर्घ्य देकर खुद को खुशनसीब समझते हैं.