कल ही पत्रकार माधो ने मुझसे पूछा, बताओ भ्रष्टाचार की कमाई मरने के बाद क्या काम आती होगी ? मैंने कहा , उससे कमाए काले धन से आपकी चिता चन्दन की लकड़ी की हो सकती है , आपके नाम का मार्बल का एक स्मारक बनाया जा सकता है . आपके मरने के बाद भ्रष्टाचार से जोड़े गए लाखों करोड़ों रूपये किस काम , किसके काम आते हैं , उससे क्या फर्क पड़ता है ? वे बोले, फिर लोग लगातार मनमाने भ्रष्टाचार क्यों करते हैं ? मैंने कहा, मुझे लगता है कि पूरी ज़िंदगी पाप के द्वारा वे इतनी कमाई दूसरों के द्वारा उपभोग करने के लिए करते हैं . मेरे इस वाक्य को रिपीट करते हुए वे बोले , दूसरों के लिए पूरी ज़िंदगी पाप . कितनी जबरदस्त बात है यह . पर भ्रष्टाचार करने वाला समझे तब ना . हम दोनों सोच में पड़ गए .
हमारे बीच की चुप्पी तोड़ते हुए उन्होंने कहा कहा, कल रात मैंने एक बड़ा विचित्र सपना देखा था . मरने के बाद मैं नरक पहुंचा . वहाँ सभी प्राणियों को अलग अलग केबिन में रोज़ सज़ा दी जा रही थी . बताया गया कि कम पाप करने वाले को उनकी चॉइस के केबिन में सज़ा दी जाती है . कोई केबिन अमेरिका का था , फुल्ली एयर कंडीशंड , बेहतरीन इंटीरियर के साथ . जापानी केबिन में टीवी इत्यादि लेटेस्ट इलेक्ट्रानिक आइटम थे . ऐसे ही अनेक देशों के शानदार केबिन थे . सभी जगह सज़ा एक सी थी . बस, उसकी मात्रा ज़्यादा या कम होती थीं. सबसे पहले इलेक्ट्रिकल कुर्सी पर बिठाकर शॉक , फिर लोहे के खीले वाले पलंग पर लिटाना , फिर वहाँ का एक कर्मचारी पाप के हिसाब से रोज़ कोड़े मारता था . भारतीय केबिन में भ्रष्टाचारियों की सबसे लम्बी लाइन लगती थी . वे जब सज़ा पाकर आते तब भी खुश दिखते थे . मालूम किया तो जानकारी मिली कि उन्होंने उस केबिन के कर्मचारियों को भ्रष्ट बना लिया था . कर्मचारी इलेक्ट्रिक बिल का पैसा खा लेते थे जिससे इलेक्ट्रिकल कुर्सी से झटका नहीं लगता था . पलंग के सब खीले बेच दिए थे और मेंटनेंस के पैसे भी खा जाते थे . इस कारण से पलंग भी आरामदायक हो गया था . कोड़े लगाने वाले वहां के शासकीय कर्मचारियों को भी हमारे लोगों ने भ्रष्ट बना दिया था . वे मनरेगा – पीडीएस स्कीम की तर्ज पर , कोड़े लगाए बिना , कागज़ पर अंगूठा लगवा पक्का काम कर लेते थे और ज़्यादा से ज़्यादा आराम कर लेते थे . मुझे सज़ा दिलाने कैनेडा के केबिन की तरफ ले जाया जा रहा था तो मैं भी चिल्लाया , सुरेश कलमाड़ी ज़िंदाबाद , ए राजा ज़िंदाबाद , येदुरप्पा ज़िंदाबाद , भ्रष्टाचार ज़िंदाबाद तो वे लोग मुझे भारतीय केबिन की तरफ ले जाने लगे . इतने में मेरी नींद खुल गयी . फिर हँसते हुए बोले, नाहक साधु बाबा लोग अपनी दुकान चलाने के लिये कहते हैं कि अच्छा काम करो . भ्रष्टाचार की गूंज तो नरक तक है . मैं हड़बड़ा गया कि क्या पत्रकार माधो भ्रष्टाचार समर्थक हो गए ? वे हँसते हुए बोले , मेरे हिसाब से उन लोगों की आवश्यकता धरती से ज़्यादा नरक में है , नाहक वे धरती को नरक बना रहे हैं. सुनकर मेरी जान में जान आयी , मैं मुस्कुराया और वे हंसने लगे .
इंजी. मधुर चितलांग्या, संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स