अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के अवसर पर न्यू सर्किट हाउस सिविल लाइन में आयोजित कार्यक्रम में समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने बधिर और सुनने वाले लोगों के बीच समझ और सम्मान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “सांकेतिक भाषा बधिरों और कम सुनने वाले समुदाय के लिए एक आवश्यक मानव अधिकार है, और यह समानता, समावेश और सशक्तिकरण का एक पुल है।”
मंत्री ने यह भी कहा कि हमें दिव्यांगों को हेय दृष्टि से नहीं देखना चाहिए, बल्कि उनके प्रति सम्मान का भाव रखना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान, श्रीमती राजवाड़े ने विभिन्न दिव्यांग जनों को खेल और अन्य क्षेत्रों में उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम का आयोजन छत्तीसगढ़ बधिर संघ के सहयोग से रायपुर जिला कार्यालय समाज कल्याण द्वारा किया गया था। इस दौरान, सांकेतिक भाषा की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि सांकेतिक भाषा एक दृश्य संचार प्रणाली है, जिसमें हाथों के आकार, विन्यास, संचालन और चेहरे के हाव-भावों का उपयोग किया जाता है।
कार्यक्रम में समाज कल्याण के संयुक्त संचालक श्री नदीम काजी, शासकीय दिव्यांग महाविद्यालय की प्राचार्य श्रीमती शिखा वर्मा, शासकीय दृष्टि एवं श्रवण बाधितार्थ विद्यालय की अधीक्षक श्रीमती जी सीता, शासकीय अस्थि बाधितार्थ बाल गृह रायपुर की अधीक्षक श्रीमती लक्ष्मी माला मेश्राम, शासकीय बहु विकलांग गृह रायपुर की अधीक्षक श्रीमती मनीषा पांडे, मानसिक रूप से अविकसित बाल गृह रायपुर के अधीक्षक श्री राजेंद्र कुर्मी, और छत्तीसगढ़ बधिर संघ के अध्यक्ष श्री रमेश चंद्रा सहित कई अन्य विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम ने बधिर समुदाय के अधिकारों और सांकेतिक भाषा के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।