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Sunday, December 22, 2024

श्री राम चरित मानस के अदभुत रचनाकार : गोस्वामी तुलसी दास

तुलसी दास जी को हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक माना जाता है। उनके द्वारा लिखा गया श्रीराम जी को समर्पित ग्रन्थ श्रीरामचरित मानस भारत वर्ष में पढे जाने वाला सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है। तुलसी दास जी का जन्म उत्तरप्रदेश के ग्राम राजापुर में संवत 1554 को हुआ था। पिता ने उनका नाम रामभोला रखा था। वे बडे प्रखर बुद्धि के थे। गुरु नरहरी स्वामी ने उन्हे राममंत्र की दीक्षा दी और नाम तुलसी दास रखा। कहते है कि काशी में तुलसी दास जी को रामकथा वाचन के दौरान एक प्रेत मिला जिसने उनको हनुमान जी का पता बताया। हनुमानजी से विनय करने पर उन्होने तुलसी दास से कहा कि चित्रकूट की धाटी मे तुम्हे रघुनाथ जी के दर्शन देंगे। चित्रकूट पहुँच कर रामघाट पर उन्होंने अपना आसन जमाया। एक दिन वे प्रदक्षिणा करने निकले थे। मार्ग में उन्हें श्रीराम के दर्शन हुए। उन्होंने देखा कि दो बड़े ही सुन्दर राजकुमार घोड़ों पर सवार होकर धनुष-बाण लिये जा रहे हैं। तुलसीदासजी उन्हें देखकर मुग्ध हो गये, परंतु उन्हें पहचान न सके। पीछेसे हनुमान्‌जी ने आकर उन्हें सारा भेद बताया तो वे बड़ा पश्चाताप करने लगे। हनुमान्‌ जी ने उन्हें सात्वना दी और कहा प्रात:काल फिर दर्शन होंगें।

संवत्‌1607 की मौनी अमावस्या बुधवार के दिन उनके सामने भगवान्‌ श्रीराम पुन: प्रकट हुए। उन्होंने बालक रूप में तुलसीदासजी से कहा-बाबा! हमें चन्दन दो। हनुमान जी ने सोचा, वे इस बार भी धोखा न खा जायें, इसलिये उन्होंने तोते का रूप धारण करके यह दोहा कहा –

चित्रकूट के घाट पर भइ संतन की भीर।
तुलसीदास चंदन घिसें तिलक देत रघुबीर।।

तुलसीदासजी उस अद्बुत छविको निहार कर शरीर की सुधि भूल गये। भगवान ने अपने हाथ से चन्दन लेकर अपने तथा तुलसीदासजी के मस्तक पर लगाया और अंतर्ध्यान हो गये।


भगवान शिव और पार्वती के आदेश पर रामनवमी के दिन संवत 1631 में उन्होने श्रीराम चरित मानस की रचना प्रारंभ की । दो वर्ष सात महीने छब्बीस दिन में इस ग्रन्थ के सातों अध्याय पूर्ण हुए ( 1-बालकाण्ड 2- अयोध्याकाण्ड 3- अरण्यकाण्ड 4- किष्किंधाकाण्ड 5- सुन्दरकाण्ड 6- लंकाकाण्ड 7- उत्तरकाण्ड )।

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