महिला सशक्तिकरण और समानता की दिशा में प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और समाज में उनके योगदान को सम्मान देना है। भारतीय संविधान ने महिलाओं को कई महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान किए हैं, जिससे वे अपने जीवन में स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बन सकें। हालांकि, अभी भी कई महिलाएं इन अधिकारों से अनजान हैं, जिससे उनके जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों में बाधा आती है।
इस महिला दिवस के अवसर पर, यहां संविधान द्वारा दिए गए पांच ऐसे अधिकारों पर प्रकाश डाला गया है, जिन्हें हर महिला को अवश्य जानना चाहिए।
1. घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार
घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत, महिलाओं को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और भावनात्मक शोषण से सुरक्षा प्रदान की गई है। इस अधिनियम के तहत महिलाएं पुलिस, महिला हेल्पलाइन या अदालत में शिकायत दर्ज कराकर कानूनी सहायता प्राप्त कर सकती हैं। यह कानून महिलाओं को उनके घरों में सुरक्षित रहने का अधिकार देता है और किसी भी प्रकार के शोषण से बचाने में मदद करता है।
2. समान वेतन का अधिकार
समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 के तहत, महिलाओं को समान कार्य के लिए पुरुषों के बराबर वेतन प्राप्त करने का अधिकार है। यदि किसी महिला कर्मचारी को उसके पुरुष सहकर्मी की तुलना में कम वेतन दिया जाता है, तो वह श्रम अदालत में जाकर न्याय की मांग कर सकती है। यह कानून कार्यस्थल पर लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए बनाया गया है।
आगे पढ़े3. मातृत्व लाभ का अधिकार
मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के तहत, कामकाजी महिलाओं को मां बनने की स्थिति में 6 महीने का मातृत्व अवकाश लेने का अधिकार प्राप्त है। इस दौरान कंपनी उनके वेतन में कोई कटौती नहीं कर सकती और न ही उन्हें नौकरी से निकाल सकती है। यह कानून महिलाओं को नौकरी की सुरक्षा और शिशु की उचित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
4. संपत्ति पर अधिकार
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार, बेटा और बेटी दोनों को पिता की संपत्ति में समान अधिकार प्राप्त है। शादी के बाद भी महिला अपने माता-पिता की संपत्ति पर दावा कर सकती है। यह कानून महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
5. कार्यस्थल पर यौन शोषण से सुरक्षा
कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 लागू किया गया है। इस अधिनियम के अनुसार, प्रत्येक कार्यस्थल पर एक आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन अनिवार्य है, जहां महिलाएं अपने साथ हुए किसी भी प्रकार के यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करा सकती हैं। साथ ही, पीड़ित महिला को अपनी पहचान गोपनीय रखने का अधिकार भी दिया गया है, जिससे वह बिना किसी भय के न्याय की मांग कर सके।