वो ख्वाबों के दिन
( पिछले 32 अंकों में आपने पढ़ा : प्यार की पहली मुलाकात पर शर्त के कारण मिले, दिल को सुकून और दर्द को उकेरते हुए , पहले प्रेम पत्र में दिल के जज़्बात को जोखिम उठा कर सही हाथों में पहुंचा दिया . फिर आंख मिचौली के किस्से चलने लगे और उसी दबंगाई से पहुंचाया गया जवाबी खूबसूरत प्रेम पत्र पढ़कर मैं अपने होश खो बैठा . होश तब दुरुस्त हुए जब तुमसे फोन पर बात हुई . तुम्हारी एक झलक व दूर से मुलाकात की बात कर मैं समय पर नहीं पहुंच पाया . इससे हुई, तुम्हारी नाराज़गी को दूर करने के लिये फोन पर बातचीत हुई , नाराज़गी दूर हो गई और फिर से रोमंटिक बातें होने लगीं. अंत में तय यह हुआ कि आखरी मुलाकात के पहले एक मुलाक़ात और कर लेते हैं . आगे मुलाक़ात की बात ..)
एक प्रेम कहानी अधूरी सी ….
(पिछले रविवार से आगे की दास्तान – 33 )
वह बेहद खूबसूरत दिख रही थी . मेरे पहुंचते ही उसने गर्मजोशी से अपना हाथ बढ़ाया . मैंने हाथ आगे बढ़ाते हुए उसे फिर छेड़ा , आज मिठाई तो गुलाबी और सफेद है . बेहद आकर्षक और बेहद रसभरी . तुम इस बार शरमाई नहीं बल्कि मुस्कुराते हुए शरारती लहज़े में पूछा , इरादा क्या है ?
मैंने कहा , इरादा तो नेक है पर सामने वाली तेज़ है . अब वह खिलखिला उठी . मैं फिर बोला ,
कुछ पल के लिये ही अपनी , बाहों में सुला लो मेरी जान
अगर आंख खुली तो उठा देना , अगर ना खुली तो दफना देना
वह पहले मुस्कुराई फिर गंभीर होकर बोली, ध्रुव , देखो मेरा परिवार बेहद मॉडर्न है . मैं आपको अपने घर वालों से मिलवाना चाहती हूं, उन्हें अपने फ्रेंड की तरह इंट्रोड्यूस कराना चाहती हूं . आप तो जानते ही हैं कि यदि मैंने आपको अपना बॉय फ्रैंड भी बताती तो भी उन्हें कोई आपत्ति नहीं होती . परंतु मुझे आपसे इस तरह छुपकर रोमांस करना बेहद रोमांचक लग रहा है. आप मुझे एक दोस्त से भी ज़्यादा अच्छे लगते हैं पर हम दोनो ने शुरू से तय कर रखा था कि आमने सामने हम दोस्ती से ज़्यादा किसी भी रिश्ते में नहीं पड़ेंगे . मैं भी गम्भीर होकर बोला , सही कहती हो दोस्ती के आगे किसी भी रिश्ते को कायम करने के लिये हमें कम से कम तीन साल इंतज़ार करना होगा. फिर भी मैंने उसे ज़बर्दस्ती छेड़ते हुए कहा, पर अभी तो मैं ‘मलिका’ की मोहब्बत में गिरफ्तार हो गया हूं. वह मुस्कुराते हुए बोली, वही तो कह रही हूं , मुझे भी आपसे इंफैचूएशन (किशोरावस्था का आकर्षण ) हो गया था , वह भी केवल फोन और चिट्ठी के द्वारा . चलो , आज पहली बार आमने सामने मुहब्बत की बात कर लेते हैं और शायद आखरी बार भी . फिर मस्ती में बोली –
कोई तो खास बात है आपसे रिश्ते में ,जो हम इसे बड़ी शिद्दत से निभाते हैं ,
वरना हम तो उन लोगो में से हैं जो , दूसरो के सपनो में भी अपनी मर्ज़ी से जाते हैं
मैं उसकी इस हसीन गर्वीली अदा पर मर मिटा .अब हम दोनों सचमुच में खास प्रेमियों की तरह , प्यार भरी निगाहों से एक दूसरे की आंखों में देखते रहे. उसने एक बार फिर शरमा कर आंखें झुका ली . मैंने उससे कहा कि क्या हुआ ? अब वह खुल कर हंस पड़ी और मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर उसे हिलाते हुए बोली, मैं एक बार महसूस करना चाहती थी कि प्यार की कशिश कैसी होती है ? मैंने पूछा , तो कुछ महसूस किया ?
(अगले हफ्ते आगे का किस्सा )
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक ,
दैनिक पूरब टाइम्स