टॉन्सिल को ‘जड़ से खत्म’ करने का मतलब है कि वे कभी वापस न आएं। यह एक महत्वपूर्ण निर्णय होता है और आमतौर पर इसके लिए चिकित्सा हस्तक्षेप (मेडिकल इंटरवेंशन) की आवश्यकता होती है। यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जो टॉन्सिल को जड़ से खत्म करने या उनके बार-बार होने की समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं:
1. टॉन्सिलक्टोमी – सर्जिकल उपचार: यह टॉन्सिल को जड़ से खत्म करने का सबसे प्रभावी तरीका है। टॉन्सिलक्टोमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें टॉन्सिल को पूरी तरह से हटा दिया जाता है। यह उन लोगों के लिए सुझाया जाता है जिन्हें बार-बार टॉन्सिलाइटिस (टॉन्सिल में संक्रमण और सूजन) होता है, जिससे उनके दैनिक जीवन और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- संकेत :
- एक साल में 7 या उससे अधिक बार टॉन्सिलाइटिस के एपिसोड।
- पिछले 2 सालों में प्रत्येक साल 5 या उससे अधिक बार टॉन्सिलाइटिस के एपिसोड।
- पिछले 3 सालों में प्रत्येक साल 3 या उससे अधिक बार टॉन्सिलाइटिस के एपिसोड।
- नींद के दौरान सांस लेने में समस्या (स्लीप एपनिया) अगर बढ़े हुए टॉन्सिल के कारण हो।
- टॉन्सिल में फोड़ा (पेरिटॉन्सिलर एब्सेस) जो ठीक न हो।
- खाने या निगलने में गंभीर कठिनाई।
- फायदे: एक बार टॉन्सिल हटा दिए जाने के बाद, व्यक्ति को फिर से टॉन्सिलाइटिस होने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है।
2. जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपाय (गंभीर मामलों में सहायक नहीं, लेकिन लक्षणों को कम कर सकते हैं): हालांकि ये टॉन्सिल को ‘जड़ से खत्म’ नहीं करेंगे, ये बार-बार होने वाले संक्रमणों की आवृत्ति और गंभीरता को कम करने में मदद कर सकते हैं:
- स्वच्छता: नियमित रूप से हाथ धोना, खासकर खाने से पहले और बाद में, और बीमार लोगों से दूर रहना संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद करता है।
- नमक के पानी से गरारे: गर्म पानी में नमक मिलाकर गरारे करने से गले की सूजन कम होती है और बैक्टीरिया को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
- पर्याप्त आराम: शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए पर्याप्त आराम मिलना महत्वपूर्ण है।
- हाइड्रेशन: खूब पानी और तरल पदार्थ पीने से गला नम रहता है और ठीक होने में मदद मिलती है।
- धूम्रपान और प्रदूषण से बचें: धूम्रपान और प्रदूषित हवा गले को और परेशान कर सकती है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना: संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और नियमित व्यायाम से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे संक्रमण से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।
3. आयुर्वेदिक और हर्बल उपाय (केवल लक्षणों को प्रबंधित करने में सहायक): कुछ आयुर्वेदिक और हर्बल उपचार टॉन्सिलिटिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन ये टॉन्सिल को ‘जड़ से खत्म’ नहीं करते हैं। इनका उपयोग केवल एक डॉक्टर की सलाह पर ही किया जाना चाहिए:
- मुलेठी (लिकोरिस): मुलेठी की चाय या काढ़ा गले को आराम दे सकता है।
- त्रिफला: यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकता है।
- हल्दी दूध: हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गले की सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- गार्गल: कुछ आयुर्वेदिक औषधियां जैसे फिटकरी या दारुहल्दी का पानी मिलाकर गरारे करना।
महत्वपूर्ण विचार:
- स्व-चिकित्सा न करें: यदि आपको बार-बार टॉन्सिलाइटिस हो रहा है या गंभीर लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत एक ईएनटी (नाक, कान, गला) विशेषज्ञ से सलाह लें। वे आपकी स्थिति का सही निदान करेंगे और सबसे उचित उपचार का सुझाव देंगे।
- कारण की पहचान: कई बार टॉन्सिल के बार-बार होने का कारण एलर्जी या अन्य अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनका इलाज करना भी महत्वपूर्ण है।
संक्षेप में, टॉन्सिल को ‘जड़ से खत्म’ करने का सबसे निश्चित तरीका सर्जरी (टॉन्सिलक्टोमी) है, जो बार-बार होने वाले गंभीर संक्रमणों के लिए अंतिम उपाय होता है। घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय केवल लक्षणों को प्रबंधित करने या संक्रमण की आवृत्ति को कम करने में सहायक हो सकते हैं, लेकिन वे टॉन्सिल को स्थायी रूप से नहीं हटाते हैं।