आयुर्वेद की एक अमूल्य विरासत है गुग्गुल, जिसे अनेक रोगों से लड़ने में सहायक माना गया है। यह ‘कॉमीफोरा मुकुल’ नामक पौधे से प्राप्त होने वाला एक सुगंधित गोंद है, जिसकी तासीर गर्म और स्वाद कड़वा होता है।
गुग्गुल के प्रमुख औषधीय गुण और फायदे:
- त्रिदोष संतुलन: आयुर्वेद के अनुसार, गुग्गुल वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करने में सहायक है, विशेष रूप से यह वात दोष को शांत करने के लिए उपयोगी है।
- सूजन और दर्द में राहत: इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और दर्द निवारक गुण इसे गठिया, ऑस्टियोआर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द में अत्यधिक लाभकारी बनाते हैं। यह हड्डियों को मजबूत बनाने में भी मदद करता है।
- पाचन तंत्र में सुधार: गुग्गुल पाचन को बेहतर बनाता है और कब्ज, एसिडिटी, गैस और खट्टी डकार जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। यह पेट के कृमि (कीड़े) को दूर करने में भी सहायक है।
- कोलेस्ट्रॉल और हृदय स्वास्थ्य: गुग्गुल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में मदद करता है, जिससे हृदय रोगों से बचाव होता है।
- वजन घटाने में सहायक: यह शरीर में वसा (फैट) को कम करने में मदद करता है, जिससे मोटापा नियंत्रित करने में सहायता मिलती है।
- त्वचा संबंधी समस्याएं: गुग्गुल मुंहासे, अल्सर, त्वचा रोगों और खट्टी डकार में भी फायदेमंद है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो त्वचा पर एंटी-एजिंग प्रभाव दिखाते हैं।
- मधुमेह (डायबिटीज) में लाभ: गुग्गुल इंसुलिन उत्पादन में मदद करता है और रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक है, जिससे डायबिटीज रोगियों को लाभ मिल सकता है।
- रक्त शोधक: यह रक्त को शुद्ध करता है और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे बवासीर जैसी रक्त विकारों में भी लाभ होता है।
- आंख और कान के रोग: आंखों के रोगों और कान से आने वाली दुर्गंध को कम करने में भी यह सहायक बताया गया है।
- अन्य लाभ: गुग्गुल एनीमिया, ट्यूमर (शुरुआती अवस्था में), टॉन्सिल और थायराइड फंक्शन को सुधारने में भी फायदेमंद माना जाता है।
उपयोग और सावधानियां:
गुग्गुल का सेवन आमतौर पर चूर्ण, गुटिका या अन्य आयुर्वेदिक योगों के रूप में किया जाता है। इसमें विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट और क्रोमियम जैसे कई तत्व पाए जाते हैं, इसी वजह से इसका औषधि के रूप में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है।
हालांकि, किसी भी आयुर्वेदिक औषधि की तरह, गुग्गुल का सेवन भी विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए, खासकर गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को। सीमित मात्रा में सेवन करने पर यह सुरक्षित और प्रभावी होता है, लेकिन अत्यधिक सेवन हानिकारक हो सकता है।