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संस्मरण
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संस्मरण : सचमुच ऐसी होती थी छोटे शहरों व गांव में रहने वालों के बचपन की दीपावली
दीपावली का त्यौहार हमारे बचपन में सचमुच अद्भुत होता था. आज मॉर्निंग वॉक लेते समय मैं खो गया , राजनांदगांव मे बिताये अपने...
संस्मरण : आप सौभाग्यशाली हैं या दुर्भाग्यशाली ?
लगभग 40 साल पहले , एक दिन , इंदौर के इंजीनियरिंग कालेज में मेरे हॉस्टल का मेरा एक प्रिय मित्र लगभग रोते हुये मुझसे...
संस्मरण : ईश्वर दयालु है या न्यायप्रिय ? संत गोंदवलेकर महाराज के प्रवचन से हुआ निराकरण
राजनांदगांव में बचपन से बाल समाज गणेश समिति द्वारा अपने घर के सामने कराये गये महात्माओं के प्रवचन को मैं सुनता रहा। वे महात्मा...
संस्मरण : जानिये, एक बच्चे ने कैसे समझा संविधान का महत्व
बचपन में मैंने 12 वर्ष की उम्र में जब पेपर में पहली बार पढ़ा कि राजनांदगांव जिले के कलेक्टर अरुण क्षेत्रपाल का तबादला हो...
संस्मरण : होते हैं प्रकृति के खेल निराले ! अपने ढंग से लोगों को सबक-सज़ा-पुरस्कार देती है
कल रात भर आंधी तूफ़ान के साथ भारी बारिश हुई . हवाओं की सांए-सांए पूरी रात संगीत की तरह चलती रही . वृक्षों की...
संस्मरण : अनुभव को प्रणाम करना सीखा
सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री लेकर मैं , पूना में शिर्के सिपोरेक्स ( मल्टीनेशनल कंपनी) में नौकरी के शुरूआती दौर में था। डेढ़ साल के भीतर सन् 1985 के...