• 18-05-2024 03:09:32
  • Web Hits

Poorab Times

Menu

क्या हुआ कि अब वे अपने नाम की गारंटी और भाजपा का नाम छोड़कर बोलने लगे हैं कि ‘एनडीए’ आएगी तो ‘एनडीए’ यह करेगी, वह करेगी ?

गुस्ताखी माफ

क्या हुआ कि अब वे अपने नाम की गारंटी और भाजपा का नाम छोड़कर बोलने लगे हैं कि एनडीएआएगी तो एनडीए यह करेगी, वह करेगी ?

आज पत्रकार माधो की राजनीतिक चौपाल में,  उनके बदलते रंग व भाषणों पर चर्चा करते हुए हमारे एक पत्रकार साथी ने कहा , जिस समय चुनाव की घोषणा हुई थी , मोदी जी जोश से लबरेज होकर कहते थे , मोदी की यह गारंटी है , मोदी की वह गारंटी है ,  अभी तो 10 साल तक ट्रेलर देखा है पिक्चर अभी बाकी है. इसके अलावा अबकी बार चार सौ पार के नारे लगवा देते थे .  वे जिस अवतार में आते थे , जो बोलते थे , उनका करिश्मा अलग ही स्तर का होता था पर अचानक क्या हुआ कि वे अपने नाम की गारंटी और भाजपा का नाम छोड़कर अब एनडीए की माला जपने लगे हैं . कहीं उन्हें सरकार बनाने के लिये अपने सहयोगियों की ज़रूरत पड़ सकती है ऐसा तो नहीं लग रहा है ? क्या हुआ कि वे अचानक मंगल सूत्र की बात करने लगे , सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिये कांग्रेस पर आरोप लगा रहे हैं कि अधिक बच्चे वालों को अन्य लोगों की संपत्ति छीनकर बांटने वाले हैं . दिन-रात मुसलमान-मुसलमान के निगेटिव प्रचार का रोना-धोना शुरू कर दिया है . अब दूसरा साथी बोला , केवल भाजपाइयों के बड़े दावों के बीच मौन वोटर ने चुप्पी साध ली है जोकि एक खतरे की घंटी की तरह है . इसी के कारण वोटिंग पर्सेंटेज में गिरावट भी आई है . 10 साल प्रधानमंत्री रहने के बाद भी अपने को निरीह दिखा  और “पिटे पिटाये” अगले लोगों को आत्याचारी बताने का अभिकथन,  इस चुनाव में बेअसर नज़र आ रहा है . केवल भक्तगण ताली बजाते नज़र आ रहे हैं  इसीलिये अब उन्हें वोटों के ध्रुवीकरण का ही सहारा दिखने लगा होगा . अब तीसरा पत्रकार साथी बोला, भाजपा के सिटिंग सांसदों के खिलाफ नाराजगी भारी एंटी-इन्कम्बेंसी है. भाजपा कार्यकर्ता चुनाव में पहले जैसे एक्टिव नहीं हैं. चुनावी सीट पर स्थानीय जोश और मोदी का माहौल बनवाती भाजपा मशीनरी नहीं है. मोदी का नाम है पर उनका चेहरा अब लोगों से स्वंयस्फूर्त वोट डलवाने वाला चुंबक नहीं दिखाई दे रहा है . अब चौथा साथी बोला , समय का कमाल देखें, जो पंद्रह दिन में नरेंद्र मोदी की भाषा बदल गई है . अब अनेक भक्तगण,  कांग्रेस का डर दिखा कर,  कहना शुरू कर दिये हैं कि नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना जरूरी है. नरेंद्र मोदी के नाम का अंडर करेंट होते हुए भी सोशल मीडिया में प्रचारित कर रहे हैं कि जिसने भाजपा को वोट नहीं दिया वो हिंदू , हिंदुओं से गद्दारी कर रहा है. इस तरह के मैसेजेस की भरमार हो गई है . यह डर,  सच में,  फ्लोटिंग वोटर को उनकी तरफ आकर्षित करने की जगह विकर्षित कर उदासीन बना रहा है . जो वोट उन्हें मिल सकते थे,  वे लोग अब वोट देने, ना जाने का विचार करने लगे हैं . अब मैं भी बोल उठा , ऐसा लगता है कि अब  चुनाव के फीके, उदासीन माहौल में लोग अपनी चिंता, मूड और सरोकारों में हैं न कि नरेंद्र मोदी को वोट डालकर जिताने की चिंता में. तभी मोदी बनाम बेफिक्र उदासीन लोगों व समुदायों के बीच का ठंडा चुनाव है. इसमें कांग्रेस या विपक्ष भी बेमतलब दिख रहा है . अब पत्रकार माधो बोले , डर तो ज़बर्दस्त दिखने लगा है . वे छतीसगढ़ में रात गुजार रहे हैं . अच्छे दिनों का, पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर मारने का और भारत को विश्वगुरू , विकसित बनाने के विशाल प्रोपेगेंडा गायब दिखने लगे हैं . 2014 के नरेंद्र मोदी खुद हर-हर मोदी लिए हुए थे और अब वे अपने मुद्दों की बजाय कांग्रेस की ओर से उठाए गए मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं . भाजपा द्वारा संविधान बदलने का मुद्दा,  कांग्रेस जनता के बीच लेकर गई थी, उसका जवाब दे रहे हैं . ऐस लगता है कि पूरी टीम , कमज़ोर दिखाने की उचुक- उचुक में ,  घर-घर राहुल गांधी को पहुंचा रही है . उन्होंने मरी हुई कांग्रेस को जिंदा कर , मुक़ाबले पर खड़ा कर  दिया है . भले ही बदलाव हो या ना हो पर एक बड़े वर्ग को यह लगने लगा है कि समय परिवर्तन की आवाज अब ज़ोर से सुनाई दे रही है .

इंजी. मधुर चितलांग्या,प्रधान संपादक, दैनिक पूरब टाइम्स  

Add Rating and Comment

Enter your full name
We'll never share your number with anyone else.
We'll never share your email with anyone else.
Write your comment
CAPTCHA

Your Comments

Side link

Contact Us


Email:

Phone No.