Total Users- 675,355

spot_img

Total Users- 675,355

Wednesday, March 26, 2025
spot_img

किडनी की नस में था 100 प्रतिशत ब्‍लॉकेज, डॉक्‍टरों ने सर्जरी कर बचाई जान

रायपुर के इस मरीज को मिली दूसरी जिंदगी

डॉक्‍टर को धरती का भगवान ऐसे ही नहीं कहा जाता है। आंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक विभाग के डाक्‍टर उस मरीज के लिए भगवान बन गए जब किडनी की नसों में ब्‍लॉकेज का इलाज कर उसकी किडनी और हार्ट फेल होने से बचाया लिया। समय पर इलाज नहीं होता तो मरीज की किडनी फेल हो जाती।

रायपुर। आंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक विभाग में 100% ब्‍लॉक हो चुकी रीनल आर्टरी का सफल ऑपरेशन कर 66 वर्षीय मरीज की जान बचाई गई। विभाग के अध्यक्ष डा. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में टीम ने एक्जाइमर लेजर विधि से ऑपरेशन कर मरीज को ठीक किया। मरीज के किडनी में खून पहुंचाने वाली बायीं धमनी में 100% और हार्ट की मुख्य नस में 80% रुकावट थी। किडनी की नसों यानी रीनल आर्टरी और कोरोनरी आर्टरी का एक साथ इलाज कर मरीज को किडनी और हार्ट फेल होने से बचाया गया।

डा. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि, मरीज के किडनी को खून की आपूर्ति करने वाली दोनों नसों में ब्‍लॉकेज था। एक में 100% ब्‍लॉकेज और दूसरे में 70-80% ब्‍लॉकेज था। लेफ्ट रीनल आर्टरी जहां से शुरू होती है, वहीं मुख्य ब्लाकेज था। इस कारण खून का प्रवाह बिल्कुल बंद हो चुका था। इसके साथ ही मरीज के हृदय की मुख्य नस में ब्लाकेज था। मरीज को 2023 में निजी अस्पताल में स्टंट लगा था, जो बंद हो चुका था। यह स्टंट पूरी तरह ब्लाक हो गया था। इन सब समस्याओं के कारण मरीज को हार्ट फेल्योर हाइपरटेंशन, सांस लेने में तकलीफ और बीपी कंट्रोल नहीं हो रहा था।

किडनी फेल होने से बचाया

इन दोनों इंटरवेंशनल प्रोसीजर को लेफ्ट रीनल आर्टरी क्रानिक टोटल आक्लूशन और इन स्टंट रीस्टेनोसिस आफ कोरोनरी आर्टरी कहा जाता है। इस केस में पहली बार रीनल का 100% आक्लूजन (रुकावट) थी, जिसके कारण मरीज का ब्लड पेशर कंट्रोल में नहीं आ पा रहा था और किडनी खराब हो रही थी। समय पर इलाज नहीं होता तो मरीज की किडनी फेल हो जाती।

एडवांस कार्डियक विभाग में ऐसे किया गया इलाज

सबसे पहले लेफ्ट रीनल आर्टरी जो 100% ब्‍लॉक थी, उसमें हार्ड ब्‍लॉकेज होने की वजह से एक्जाइमर लेजर से उसके लिए रास्ता बनाया गया। फिर बैलून से उस रास्ते को बड़ा किया। उसमें स्टंट लगाकर उस नली को पूरी तरह खोल दिया गया। नार्मल फ्लो को किडनी में वापस चालू किया गया। ब्‍लॉकेज खोलने के साथ ही ब्लड प्रेशर में परिवर्तन आना शुरू हुआ और बीपी कम हो गया।

इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड के जरिये स्टंट को देखकर यह कंफर्म किया गया कि वह ठीक से अपने स्थान पर लगा हुआ है या नहीं। इससे पहले हुई एंजियोप्लास्टी के कारण हार्ट की लेफ्ट साइड की मुख्य नस लेफ्ट एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी में डाले गए स्टंट के अंदर 90% से भी ज्यादा रुकावट पाई गई। इसको भी पहले लेजर के जरिए ब्‍लॉकेज खोलकर रास्ता बनाया गया।

फिर बैलून से उस रास्ते को बड़ा किया गया। इसके बाद इंट्रा वास्कुलर अल्ट्रासाउंड के जरिए स्टंट ब्‍लॉकेज के क्षेत्र को देखा गया। रुकावट स्टंट के साथ-साथ स्टंट के बाहर की थी, इस वजह से एक नया स्टंट डालकर दोनों रुकावट का इलाज किया गया। आइवीयूएस कर पूरी प्रक्रिया की वास्तविक वस्तुस्थिति को देखा गया। अब मरीज डिस्चार्ज होकर घर जाने को तैयार है।

spot_img

More Topics

टीबी के मरीज़ को दवा नियमित लेना अनिवार्य होता है,एक भी दवा मिस करना हो सकता है जानलेवा

टीबी (ट्यूबरक्युलोसिस) एक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े