महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि 0-5 वर्ष आयुवर्ग के लगभग 17 प्रतिशत बच्चे कम वजन वाले हैं, जबकि 36 प्रतिशत बच्चे बौने और छह प्रतिशत कमजोर (शक्तिक्षीण) हैं। शून्य से पांच वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में बौनापन, शक्तिक्षीणता और कम वजन कुपोषण के मुख्य संकेतक हैं।
बौनापन से तात्पर्य उन बच्चों से है जो अपनी उम्र के हिसाब से बहुत छोटे होते हैं। ऐसा आमतौर पर दीर्घकालिक कुपोषण के कारण होता है। शक्तिक्षीण बच्चों का तात्पर्य उन बच्चों से है, जो अपनी लंबाई के हिसाब से बहुत पतले हैं, जो गंभीर रूप से कम वजन के कारण तीव्र कुपोषण का संकेत देते हैं। ऐसे बच्चों का वजन उनकी उम्र के हिसाब से कम होता है, जिसमें बौनापन और शक्तिक्षीणता दोनों शामिल हैं और यह दीर्घकालिक या तीव्र कुपोषण या दोनों को दर्शाता है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि जून 2024 के ‘पोषण ट्रैकर’ के आंकड़ों के अनुसार, छह वर्ष से कम उम्र के लगभग 8.57 करोड़ बच्चों की लंबाई मापी गई, जिनमें से 35 प्रतिशत बौने पाए गए वहीं 17 प्रतिशत कम वजन वाले और पांच वर्ष से कम उम्र के छह प्रतिशत बच्चे शक्तिक्षीण पाए गए। उन्होंने राज्यवार आंकड़े भी साझा किये, जिसके अनुसार बौनेपन की सर्वाधिक 46.36 प्रतिशत दर उत्तर प्रदेश में है, जिसके बाद लक्षद्वीप में यह दर 46.31 प्रतिशत है।