धार्मिक | शीतला अष्टमी का पर्व देवी शीतला माता की आराधना के लिए मनाया जाता है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करने और मां को प्रसाद चढ़ाने से जीवन की हर परेशानी दूर होती है। यह पर्व होली के बाद आने वाले अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और इसे बसोड़ा भी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से ठंडा भोजन (बासी भोजन) ग्रहण करने की परंपरा होती है।
शीतला अष्टमी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त तारीख: 30 मार्च 2025, रविवार अष्टमी तिथि प्रारंभ: 29 मार्च 2025, रात 10:20 बजे अष्टमी तिथि समाप्त: 30 मार्च 2025, रात 08:15 बजे पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातः 06:00 से 08:00 बजे तक शीतला अष्टमी पर अर्पित करने वाले भोग शीतला माता को ठंडा भोजन चढ़ाने की परंपरा है, इसलिए इस दिन पहले से बने हुए (बासी) खाद्य पदार्थों का विशेष महत्व होता है।
बासी रोटी और गुड़ – माता शीतला को प्रसन्न करने के लिए ठंडी रोटी और गुड़ का भोग लगाया जाता है। पूरी और आलू की सब्जी – व्रत करने वाले भक्तों के लिए यह प्रमुख भोजन होता है।
मीठे चावल (बासुंदी/केसरिया चावल) – यह मां को अर्पित करने के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। दही और चूरमा – इसे खाने से गर्मी में शरीर ठंडा रहता है और मां की कृपा बनी रहती है। बेसन के लड्डू और सत्तू – मां को प्रसन्न करने के लिए इनका भोग लगाया जाता है। शीतला अष्टमी व्रत और पूजा विधि सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
शीतला माता की मूर्ति पर जल, हल्दी और फूल चढ़ाएं। ठंडे भोजन का भोग लगाकर मां की आरती करें। कथा का पाठ करें और प्रसाद का वितरण करें। इस दिन चूल्हा जलाने की मनाही होती है, इसलिए बासी भोजन ग्रहण किया जाता है। शीतला अष्टमी का महत्व यह व्रत संतान की सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है।
यह त्योहार संक्रमण रोगों से बचाव के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। देवी शीतला की कृपा से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस शुभ दिन पर विधि-विधान से पूजा करने से जीवन की सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है और मां शीतला का आशीर्वाद प्राप्त होता है।