हाल ही में अमेरिकी खुफिया दस्तावेजों और पूर्व अधिकारियों के बयानों से संकेत मिलता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध की संभावना बढ़ सकती है, हालांकि इसकी संभावना अभी भी कम मानी जाती है।
2019 में परमाणु युद्ध के करीब
पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अपनी पुस्तक Never Give an Inch में खुलासा किया है कि फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान परमाणु युद्ध के बेहद करीब आ गए थे। भारत ने बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने एक भारतीय विमान को मार गिराया और पायलट को पकड़ लिया। पोम्पिओ के अनुसार, उस समय दोनों देशों ने परमाणु हथियारों की तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन अमेरिका के हस्तक्षेप से स्थिति नियंत्रण में आई।
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट का आकलन
अमेरिकी खुफिया समुदाय की 2024 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संकट अधिक तीव्र हो सकते हैं, जिससे तनाव बढ़ सकता है, लेकिन पूर्ण युद्ध की संभावना कम है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत पहले की तुलना में पाकिस्तान की उकसावे की घटनाओं पर सैन्य प्रतिक्रिया देने की संभावना अधिक है, जिससे दोनों परमाणु-सशस्त्र देशों के बीच संघर्ष का जोखिम बढ़ सकता है।
पाकिस्तान की मिसाइल क्षमताओं पर अमेरिकी चिंता
अमेरिकी अधिकारियों ने हाल ही में खुलासा किया है कि पाकिस्तान लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास कर रहा है, जो अमेरिका तक पहुंच सकती हैं। इससे अमेरिका ने पाकिस्तान की एक सरकारी रक्षा एजेंसी पर प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उसका रक्षा कार्यक्रम केवल भारत से खतरे के मद्देनजर है।
वैश्विक प्रभाव की चेतावनी
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच एक सीमित परमाणु युद्ध भी वैश्विक स्तर पर गंभीर पर्यावरणीय और मानवीय संकट पैदा कर सकता है। ऐसे संघर्ष से वायुमंडल में धुआं और कालिख फैल सकती है, जिससे वैश्विक तापमान में गिरावट, वर्षा में कमी और खाद्य उत्पादन में भारी गिरावट हो सकती है, जिससे दुनिया भर में अकाल की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
निष्कर्ष
हालांकि वर्तमान में भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण परमाणु युद्ध की संभावना कम है, लेकिन बढ़ते तनाव, आतंकवादी हमलों की आशंका और दोनों देशों की सैन्य तैयारियों के चलते स्थिति गंभीर बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस दिशा में सतर्क रहकर कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से तनाव कम करने की दिशा में काम करना चाहिए।