तमिलनाडु के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एडीजीपी एचएम जयराम की गिरफ्तारी के मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तीखी प्रतिक्रिया दी। अदालत ने न केवल गिरफ्तारी के आदेश पर सवाल उठाए, बल्कि राज्य सरकार द्वारा अधिकारी के निलंबन को भी “हतोत्साहित करने वाला” बताया।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, “आप ऐसा नहीं कर सकते… यह बहुत ही निराशाजनक है।” अदालत ने अधिकारी की 28 वर्षों की सेवा का हवाला देते हुए पूछा कि जब वह जांच में सहयोग कर रहे हैं, तो निलंबन की क्या आवश्यकता है? न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, “जब वह जांच में शामिल हो चुके हैं, तो निलंबन क्यों किया गया?” वहीं, न्यायमूर्ति भुइयां ने तमिलनाडु सरकार के प्रतिनिधियों से कहा, “आप निलंबन आदेश को वापस लेने के निर्देश प्राप्त कीजिए… वह एक वरिष्ठ अधिकारी हैं।”
क्या है मामला?
यह विवाद एक पारिवारिक विवाद से शुरू हुआ। पुलिस के अनुसार, वनराजा नामक व्यक्ति की बेटी ने 22 वर्षीय युवक से प्रेम विवाह कर लिया था। वनराजा ने पूर्व महिला कांस्टेबल महेश्वरी से बेटी को वापस लाने में मदद मांगी। महेश्वरी ने कथित रूप से एडीजीपी एचएम जयराम से संपर्क किया, जिन्होंने पूवई जगन मूर्ति (पुरच्ची भारतम पार्टी के प्रमुख और विधायक) को इसमें शामिल किया।