पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के कड़े जवाबी कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान ने व्यापक राजनयिक और आर्थिक प्रतिशोध शुरू किया है, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक के बाद, पाकिस्तान सरकार ने भारत के उद्देश्य से कई कठोर उपायों की घोषणा की, जो परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच एक बड़े राजनयिक टूट का संकेत देता है। यहां जिस शिमला समझौते का जिक्र किया जा रहा है वो 1972 में साइन किया गया था और उसमें कुछ ऐसी बातें हैं जो कश्मीर मुद्दे को लेकर अहम हैं।
क्या है इसकी खास बातें।
यह समझौता शिमला में हुआ था और इसी वजह से इसका नाम शिमला समझौता है।
यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच दिसम्बर 1971 में हुई लड़ाई के बाद किया गया था।जिसमें पाकिस्तान के 93000 से अधिक सैनिकों ने अपने लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के नेतृत्व में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था।
इस समझौते से भारत को पाकिस्तान के सभी 93000 से अधिक युद्धबंदी छोड़ने पड़े और युद्ध में जीती गई 5600 वर्ग मील जमीन भी लौटानी पड़ी थी। वहीं इसके बदले भारत को क्या मिला यह कोई नहीं जानता। समझौते के बाद भारत हर वक्त जोर देता रहा कि पाकिस्तान इस समझौते की शर्तों का पालन करे लेकिन पाक ने इसको हमेशा नजरअंदाज किया।
एक नजर शिमला समझौते की अहम बातों पर
दोनों देशों के बीच जब भी बातचीत होगी, कोई मध्यस्थ या तीसरा पक्ष नहीं होगा।
दोनों ही देश इस रेखा को बदलने या उसका उल्लंघन करने की कोशिश नहीं करेंगे।
आवागमन की सुविधाएं स्थापित की जाएंगी ताकि दोनों देशों के लोग आसानी से आ जा सकें।
शिमला समझौते के बाद भारत ने 93 हजार पाकिस्तानी युद्धबंदियो को रिहा कर दिया।
1971 के युद्ध में भारत द्वारा कब्जा की गई पाकिस्तान की जमीन भी वापस कर दी गई।
दोनों देशों ने तय किया कि 17 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण के बाद दोनों देशों की सेनाएं जिस स्थिति में थी उस रेखा को वास्तविक नियंत्रण रेखा माना जाएगा।
समझौते यह प्रावधान किया गया कि दोनों देश अपने संघर्ष और विवाद समाप्त करने का प्रयास करेंगे और यह वचन दिया गया कि उप-महाद्वीप में स्थाई मित्रता के लिए कार्य किया जाएगा।
इंदिरा गांधी और भुट्टो ने यह तय किया कि दोनों देश सभी विवादों और समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सीधी बातचीत करेंगे और किसी भी स्थिति में एकतरफा कार्यवाही करके कोई परिवर्तन नहीं करेंगे।
दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ न तो बल प्रयोग करेंगे, न प्रादेशिक अखण्डता की अवेहलना करेंगे और न ही एक दूसरे की राजनीतिक स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप करेंगे।
दोनों ही सरकारें एक दूसरे देश के खिलाफ प्रचार को रोकेंगी और समाचारों को प्रोत्साहन देंगी जिनसे संबंधों में मित्रता का विकास हो।