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Saturday, February 8, 2025
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केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इटली में जी7 व्यापार मंत्रियों की बैठक के दौरान अपने समकक्षों के साथ बैठकें कीं

गोयल ने जी7 बैठक के मौके पर यूरोपीय संघ और यूनाइटेड किंगडम के साथ गहरे आर्थिक संबंधों एवं एफटीए पर चर्चा की

केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इटली के रेजियो कैलाब्रिया के विला सैन जियोवानी में आयोजित जी7 व्यापार मंत्रियों की बैठक में भाग लिया। इस बैठक ने वैश्विक व्यापार संबंधों एवं आर्थिक सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा के एक महत्वपूर्ण मंच की भूमिका निभाई। इस बैठक के मौके पर, श्री गोयल ने अपने अंतरराष्ट्रीय समकक्षों के साथ कई उच्चस्तरीय द्विपक्षीय बैठकें कीं, जो वैश्विक स्तर पर मजबूत आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इटली के उप-प्रधानमंत्री तथा विदेश एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग मंत्री एंटोनियो तजानी के साथ चर्चा के दौरान, दोनों मंत्री द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश, औद्योगिक सह-उत्पादन तथा स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए। केन्द्रीय मंत्री श्री गोयल ने जी7 व्यापार मंत्रियों की सार्थक बैठक के आयोजन के लिए श्री तजानी को बधाई दी।

यूरोपीय आयोग के कार्यकारी उपाध्यक्ष वाल्डिस डोम्ब्रोव्स्की के साथ चर्चा मौजूदा एफटीए वार्ता सहित भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने पर केन्द्रित रही। दोनों पक्षों ने आपसी हित के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के अवसरों की तलाश की।

गोयल ने न्यूजीलैंड के व्यापार मंत्री श्री टॉड मैक्ले के साथ बातचीत में पारस्परिक विकास के लिए द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश संबंधों को बढ़ाने के अवसरों का पता लगाया। इस चर्चा का उद्देश्य भारत और न्यूजीलैंड के बीच मौजूदा मजबूत व्यापार संबंधों को और गति देना था।

यूनाइटेड किंगडम के व्यवसाय एवं व्यापार राज्य सचिव श्री जोनाथन रेनॉल्ड्स को उनकी नियुक्ति पर बधाई दी और द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। इस बातचीत में भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर चर्चा को आगे बढ़ाने की योजना शामिल थी।

गोयल ने जर्मनी के आर्थिक मामलों एवं जलवायु कार्रवाई के संघीय मंत्री डॉ. रॉबर्ट हैबेक के साथ बातचीत में बढ़ते भारत-जर्मन व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी को और आगे बढ़ाने के अवसरों पर चर्चा की। चर्चा आगामी अंतर-सरकारी परामर्श और दिल्ली में आयोजित जर्मन व्यवसायों के एशिया-प्रशांत सम्मेलन पर केन्द्रित रही।

इन द्विपक्षीय संवादों से प्रमुख अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ भारत के व्यापार संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है।

जी7 व्यापार मंत्रियों की बैठक में श्री गोयल की भागीदारी व्यापार एवं आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ जुड़ने के भारत के सक्रिय दृष्टिकोण को रेखांकित करती है।

इस सत्र के दौरान, श्री गोयल ने निमंत्रण के लिए श्री एंटोनियो तजानी को धन्यवाद दिया और कोविड-19 महामारी, यूक्रेन-रूस संघर्ष और लाल सागर संकट का संदर्भ देते हुए संकट के समय में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की मजबूती का विश्लेषण करने के महत्व पर प्रकाश डाला।

उन्होंने जीवीसी मैपिंग के लिए जी20 जेनेरिक फ्रेमवर्क, 14-सदस्यीय आईपीईएफ एसोसिएशन, ट्राईलेटरल सप्लाई चेन रेजिलिएंस इनिशिएटिव (एससीआरआई), और भारत-ईयू टीटीसी जैसे प्लेटफार्मों के तहत सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण हेतु विभिन्न देशों के प्रयासों पर जोर दिया।

उन्होंने आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) सहित अमेरिका, जीसीसी देशों और यूरोपीय संघ जैसे रणनीतिक साझेदारों के साथ भारत की पहल पर चर्चा की और बाजार, वितरण प्रणाली एवं लॉजिस्टिक्स के साथ एकीकृत निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला के लिए मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी बढ़ाने की दिशा में भारत के घरेलू उपायों पर प्रकाश डाला।

केन्द्रीय मंत्री ने महत्वपूर्ण खनिजों, अर्धचालकों, फार्मास्यूटिकल और हरित ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने हेतु भरोसेमंद भागीदारों के बीच सहयोग का प्रस्ताव दिया और जी7 देशों एवं साझेदार देशों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में निवेश, नवाचार और सुसंगत नियामक ढांचे की हिमायत की।

उन्होंने मजबूत साझेदारी और सहयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए, वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं पर 3 सी – कोविड, संघर्ष और जलवायु परिवर्तन – के प्रभाव का उल्लेख किया। उन्होंने वर्तमान वैश्विक संदर्भ को दर्शाने वाले 3 एफ – खंडित, नाजुक और अनिश्चितताओं से भरा – की अवधारणा भी प्रस्तुत की और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने हेतु निवेश, व्यापार, पर्यावरण और ऊर्जा संबंधी नीतियों के बीच व्यापक समन्वय का आग्रह किया।

उन्होंने ऐसी सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखलाओं की आवश्यकता पर जोर दिया जो वर्तमान पीढ़ी के आगे भी  बनी रहें।

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