एक बड़े आदमी के बेटे ने एक दलित गरीब के घर ठहरकर खाना खा लिया . दुनिया भर में उसकी विनम्रता और सादगी की तारीफ़ होने लगी . जबकि अनेकों गरीब रोज़ उससे भी बदतर स्थिति में रहते और खाते हैं परन्तु ना उनकी सादगी की तारीफ़ होती है और ना ही विनम्रता की . एक फ़िल्मी हीरोइन नंगे पैर अपने घर से तीन किलोमीटर दूर एक मंदिर के दर्शन करने जाती है . पूरा मीडिया उसके साथ-साथ चलता है और कहता फिरता है कि इसे कहते हैं मन्नत और श्रद्धा , अपनी फिल्म की सफलता के लिए हीरोइन नंगे पैर चली . वहीं एक घसियारी, अपने घर चलाने के लिए रोज़ बीस किलोमीटर नंगे पैर चलकर आती जाती है , उसके त्याग की प्रशंसा कोई नहीं करता है . बेहद अजीब बात है परन्तु आज के परिपेक्ष में एकदम सत्य है . उच्च स्थिति का सभी आदर करते हैं , चाहे वह खुद अर्जित हो या विरासत में मिली हो . उच्च स्थिति वाले के कृत्यों में थोड़े से अच्छे गुणों का , ज़्यादा प्रचार-प्रसार होता है जबकि वास्तविक जीवन में अनेक लोग उनसे बेहतर होते हैं . इसलिए मैं आप सभी लोगों से कहना चाहता हूं कि यदि आप भी चाहते हैं कि आपके सदगुणो को दुनिया सराहे , मीडिया प्रेरणा की तरह दिखाए, लोग आपकी तारीफ़ करें तो उसके पहले यह आवश्यक है कि आप समाज में एक अच्छा स्थान प्राप्त करें. जीवन में अनेक उपलब्धियां भाग्य के भरोसे होती हैं परन्तु ज़्यादातर खुद की मेहनत और लगन से प्राप्त करनी होती हैं. इसलिए इस बात को गांठ बांध लें कि केवल सफलता ही अपना विकल्प मानेंगे तो सफलता पाने की संभावना बढ़ जाती है. आइये , हम सब इस बात को ठान लें कि पूरे मन से केवल और केवल बेहतरी (पहले से ज़्यादा अच्छी स्थिति ) को अपना लक्ष्य बनाएंगे तो अपने आप ऐसे मुकाम पर पहुंच जाएंगे, जहां लोग आपके पैरों को भी चरण कहने लगेंगे .
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक ,
दैनिक पूरब टाइम्स