fbpx

Total Users- 573,995

Monday, December 9, 2024

संस्मरण : जानिये, एक बच्चे ने कैसे समझा संविधान का महत्व



बचपन में मैंने 12 वर्ष की उम्र में जब पेपर में पहली बार पढ़ा कि राजनांदगांव जिले के कलेक्टर अरुण क्षेत्रपाल का तबादला हो गया . मैं बेहद आश्चर्य में पड़ गया कि अब जिले का काम आगे कैसे चलेगा ? जो नये कलेक्टर आयेंगे उन्हें कैसे सब कामों के बारे में पता चलेगा ? उस रात को मैं जब गहराई से
सोचने लगा तो मेरी दुविधा और भी गहरी हो गयी . इसका कारण था कि मेरी सोच में आ गया कि जब इंदिरा गांधी प्रधान मंत्री नहीं रहेंगी तो देश कैसे चलेगा ? मुझे पहली बार देश की व अपने जिले की
चिंता में नींद नहीं आई . दूसरे दिन सुबह जब अपने पापा से पूछा तो वे हंसते हुए बोले, पूरा देश संविधान के अनुसार चलता है इसलिये कोई परेशानी नहीं होती . मैंने पूछा , यह संविधान तो महज कुछ पन्नों में लिखा गया है , फिर इससे पूरा देश व हमारा जिला कैसे चलता है ? तब मेरे पापा ने जो बताया उसके कारण पूरी ज़िंदगी मैं संविधान और गणतंत्र दिवस को बहुत महत्व पूर्ण मानने लगा . हर एक भारतीय को इसका सम्मान करना चाहिये .उन्होने बताया कि जब कोई भी बड़ी कंपनी चालू होती है
तो उसके पहले उस कंपनी की रूपरेखा बनाते हैं कि उसका कैसा स्वरूप होगा? फिर यह तय करते हैं कि वह कंपनी किस तरह से चलाई जायेगी ? उसे चलानेवाले संचालक मंडल के अधिकार व कर्तव्य तय किये जाते हैं . उसमे काम करने वालों के लिये नियम बनाये जाते हैं . इसके बाद उसको चलाने के लिये आवश्यकतानुसार पॉलिसी बनाई जाती है . अब अलग अलग पोस्ट पर लोग बदलते भी जायें तो ऐसा सिस्टम बन जाता है कि नया आदमी भी उसमे शामिल होकर अपने पद के अनुसार कार्य कर पाता है . ठीक उसी तरह हमारे देश का संविधान है . जिसमें शुरु में आवश्यकतानुसार देश को ठीक ढंग से चलाने के लिये नियम कानून व नियमावलियां बनाई गयी . फिर उसके अनुसार पूरी कार्यप्रणाली बनाई गई और समय समय पर उनके विस्तार किये गये . यही संविधान का विस्तार , परिवर्तन और उसके अनुरूप देश चलाने के लिये संविधान के नियमानुसार संसद चुने जाते हैं . प्रदेश में विधायक चुने जाते है . ये कार्यपालिका बनाते हैं .सरकारी कर्मचारी और अधिकारी व्यवस्था बनाते हैं . न्यायपालिका देश में
कानून की सर्वोच्चता को मेंटेन करता है . मैंने सब कुछ आसानी से समझ कर पूछ लिया , संविधान 1950 में लागू हुआ पर अभी तो परिस्थितियां बदल गयी हैं ! वे बोले , संसद सत्र सभी कार्यों के विश्लेषण एवम सुधार के लिये ही तो होते हैं . आज मैं एक संस्थान  का मुखिया हूं लेकिन मेरे मन में संविधान ,कायदे कानून व नियमों के प्रति उच्च आदर बचपन से ही है . आप सभी भी संविधान और गणतंत्रके महत्व को समझें ,इसी सद्भावना के साथ आप सभी को हार्दिक सद्भावनाएं …..

इंजी. मधुर चितलांग्या, संपादक,
दैनिक पूरब टाइम्स


More Topics

काले जादू से दादी-मां और चाचा सहित 12 लोगों मार डाला

गुजरात के अहमादाबाद में एक तांत्रिक ने दादी-मां और...

क्या आप भी पूजा-पाठ में जलाते हैं अगरबत्ती? आज ही छोड़ दें

अगरबत्ती का उपयोग भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ, ध्यान, और...

चुकंदर के जूस से पेट की शक्ति और त्वचा का निखार

चुकंदर एक शक्तिशाली और पौष्टिक सब्जी है, जिसमें कई...

डाइनिंग टेबल से जुड़े वास्तु नियम

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के हर हिस्से में...

बच्चों की हाइट बढ़ाने के लिए 10 सुपरफूड्स

बच्चों की हाइट बढ़ने के लिए सही पोषण का...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े