केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा ने बुधवार को कहा कि औषधि विनियमन में वैश्विक अग्रणी देश बनने के लिए भारत को विश्व स्तरीय नियामक ढांचे की आवश्यकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बुधवार को कहा कि दवा विनियमन में वैश्विक नेता (global leader) बनने के लिए भारत को विश्व स्तरीय नियामक ढांचे की आवश्यकता है. नड्डा ने कहा, ‘वैश्विक विनियामक मानकों को प्राप्त करने के लिए हमारा ध्यान केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO ), दवाओं और चिकित्सा उपकरण उद्योग में प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर होना चाहिए. ‘दुनिया की फार्मेसी’ की हमारी वैश्विक प्रतिष्ठा से मेल खाना भी आवश्यक है.
स्वास्थ्य मंत्री यहां एक उच्च स्तरीय बैठक में औषधियों, सौंदर्य प्रसाधनों और चिकित्सा उपकरणों के विनियमन की समीक्षा कर रहे थे. औषधियों के अग्रणी उत्पादक और निर्यातक के रूप में भारत की वैश्विक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए नड्डा ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन पर अपने अनिवार्य कार्यों में वैश्विक मानकों को प्राप्त करने के लिए समयसीमा के साथ रोडमैप तैयार करने पर जोर दिया.
उन्होंने कहा कि यह सुधार प्रणाली आधारित होनी चाहिए, जिसमें एकरूपता, तकनीकी उन्नयन और भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण के उच्चतम मानकों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स के निर्यात के लिए, निर्यात की जा रही दवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उचित हस्तक्षेप के लिए प्रणाली तैयार की जानी चाहिए.’
नड्डा ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के कामकाज में पारदर्शिता के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, ‘वैश्विक मानकों को प्राप्त करने के लिए हमें केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन तथा औषधि एवं चिकित्सा उपकरण उद्योग में प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि औषधि नियामक निकाय तथा उद्योग दोनों को पारदर्शिता के उच्चतम सिद्धांतों पर काम करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारत द्वारा निर्मित और बेचे जाने वाले उत्पाद वैश्विक गुणवत्ता मानकों के उच्चतम सूचकांकों को पूरा करते हों.
नड्डा ने कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के लिए दवा और चिकित्सा उपकरण उद्योग के साथ निरंतर संवाद बनाए रखना महत्वपूर्ण है, ताकि उनके मुद्दों को समझा जा सके और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की गुणवत्ता अपेक्षाओं और मानकों को पूरा करने में उनका समर्थन करता हो.
उन्होंने कहा, ‘हमारा ध्यान ऐसे तंत्र विकसित करने पर होना चाहिए जो नियामक आवश्यकताओं के भीतर दवा उद्योग के लिए व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करें. इसके लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन को वैश्विक मानकों से मेल खाने वाली अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ एक उपयोगकर्ता-अनुकूल संगठन बनने की आवश्यकता है.’
दवा निर्माण क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र और गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में उनके सामने आने वाली समस्याओं का उल्लेख करते हुए, नड्डा ने कहा, ‘आइए हम एमएसएमई क्षेत्र के सामने आने वाली समस्याओं को समझें और एक ओर उनकी क्षमता और उत्पादों की गुणवत्ता को मजबूत करने के लिए उनका समर्थन करें और दूसरी ओर उन्हें नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करें.’
नड्डा को राज्य औषधि विनियामक प्रणाली को मजबूत करने के लिए 850 करोड़ रुपये के बजट वाली योजनाओं की प्रगति के बारे में भी जानकारी दी गई, जिसे उनके पिछले कार्यकाल के दौरान 2016 में शुरू किया गया था.
नड्डा ने राज्यों के साथ मिलकर काम करने के महत्व पर जोर दिया ताकि उनके कौशल और क्षमताएं बढ़ाई जा सकें और उन्हें केंद्र सरकार के गुणवत्ता मानकों के अनुरूप ढालने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. उन्होंने कहा, ‘यह विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने वैश्विक स्तर पर अच्छे विनिर्माण अभ्यासों को उन्नत करने का काम शुरू किया है.’
उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा, भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.